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चेहरों पर चढ़ाकर सब मुखौटे हज़ार, निकल पड़े हैं ढूढ़ने एक सच्चा इंसान....... $$
दिन भी कभी कभी खामोश सा यूं ही गुज़र जाता है कभी कभी यूं भी होता है कि वक़्त भी कम पड़ जाता है $$