उलझनों की आंधी ने झकझोर कर रख दिया है अंदर तक....
कांटो और पत्थरों से भरा है रास्ता मंजिलों तक।
न कर उम्मीद हमसे लौट आने की,
क्योंकि टूटे रास्तों पे चलने की हमारी
आदत नही।
दर्द का आलम हो गया है कुछ ऐसा।
की अब तो चोट लगने पर भी,
दर्द नही होता।🙁
आज तो हमसे न जाने कौन सा कांड हो गया।
पगलैती बाबा कहे रहे कि....
अगर चाय का दूध गिरा दोगी तो तुम्हे धन ₹💵 की प्राप्ति होगी।
अब उ जईसा कहे रहे हम कर दिए लेकिन अब हमें इ समझ नही आ रहा कि.....
आखिर हम दूध गिराए कौन सा है...?🤔🤔🤔
"हम चाय वाला दूध गिराए है या दूध वाला चाय"🤔🤔😂😂😂
आंखों से बह रहा है दर्द का दरिया,
इस दर्द से निकलने का अब नही है कोई जरिया।😔😔
कुछ तो बोल ये जिंदगी,
कबसे तरस रहे एहसास मेरे।