मै एक खास सोच का आम इंसान हूँ । समाज की बिडंबनाओ व अवधारनाओं से मन दुखी होता है तो भावनाओं को कागज पर उतार देता हूँ । कला मुझे आकर्षित करती है जो हर इंसान मे स्वाभाविक है । प्रकृति और उसके सर्जन से मुझे बेहद लगाव है । साहित्य सृजन की विधा :- कविता , लघुकथा, नाटक, लेख, हास्य... Read more
Share with friendsलड़ते भी गए , थकते भी गए गिरते भी गए , मरते भी गए । लिख गए जो अपनी ही दास्तां अपने लहू से कहते भी गए । । कारगिल विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ।