एका सामान्य कुटुंबातुन आलेली .. वाचता वाचता , लिहिती कशी झाली समजलचं नाही ..( लेखिका म्हणवून घ्यायला अजून खुप पायऱ्या बाकी आहेत) .. मनातील कडू , गोड ,तिखट , रागीट भावनांना एकत्र लिखानाद्वारे एकत्र जमवायचा प्रयत्न करतेय ... आणि जिथं पर्यंत मी पोहचू शकेन तिथपर्यंत पोहचण्याचा देखील ... ... Read more
Share with friendsबहोत दुख होता है ,ये देखकर की हर कोई रिश्ता उसके लिए दिए , गए हुए रिश्तों का मोहताज़ बन चुका है । क्या सच में हम रिश्तों से इतना परे हो चुके है , की मोहब्बत अपनापन प्यार जताने के लिए हमे .. किसी तय किये गए दिन की जरूरत पड़े ... #bdw #happyfathersday #पापा #loveualways आपके लिए प्यार जताने के लिए मुझे किसी खास दिन की ज़रूरत नहीं चाहिए ।
वक़्त बदलता रहता हैं । कभी एकसमान नही हो सकता । बस जरूरत है बदलाव की । ख़ुद के भीतर , औरों के प्रती ..।
बड़ा इत्मिनान होता है ख़ुदपर कभी कभी .. सौ इम्तिहान, सौ ज़ख्म ,सौ दर्द .. सह लेता है ये जिस्म.. तन .. ये मन .. चलाक है बड़ा ये रब .. फिर वी ढहने नही देता इक दफ़ा मंज़िल से .. खड़ा कर लड़ने की लिए आगे .. और तकलीफ़े ,दुख ,दर्द ।
बड़ा इत्मिनान होता है ख़ुदपर कभी कभी .. सौ इम्तिहान, सौ ज़ख्म ,सौ दर्द .. सह लेता है ये जिस्म.. तन .. ये मन .. चलाक है बड़ा ये रब .. फिर वी ढहने नही देता इक दफ़ा मंज़िल से .. खड़ा कर लड़ने की लिए आगे .. और तकलीफ़े ,दुख ,दर्द ।
बड़ा इत्मिनान होता है ख़ुदपर कभी कभी .. सौ इम्तिहान, सौ ज़ख्म ,सौ दर्द .. सह लेता है ये जिस्म.. तन .. ये मन .. चलाक है बड़ा ये रब .. फिर वी ढहने नही देता इक दफ़ा मंज़िल से .. खड़ा कर लड़ने की लिए आगे .. और तकलीफ़े ,दुख ,दर्द ।
रंग अगर उडा हुआ सा लगे चेहरे का ... तो बस पुछना मत ... कभी कभी गम के होते हुये भी .. खुद को भरी महफ़िल में ख़ुश दिखाना पड़ता है .
ये वक्त भी बेवक़्त तुम्हारे तरह ही हो गया है .. भागते हम पागलों की तरह इसके पीछे है .. और ये है ठहरता ही नही इक पल हमारे लिये .. बितता ही जाता है , बितता ही जाता है ...
कितीही लाख समजावलं तरी मनाच्या हिंदोळ्यावर .. कुठेना कुठेतरी एक आठवण असतेच मनी जपलेली .. थोडी गोड , थोडी कडू , हवीहवीशी .. नकोशी वाटणारी .. एक अबोध आठवण असतेच लपलेली ध्यानी मनी ...