Ajinkya Rathod
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सर्द हवाएं थी,रोशन फिजायें थी.... हराभरा मौसम था,हसीन सुबह थी... हवावो मैं ठंडक थी... फिजावो मैं रौनक़ थी... जब निंद खुली मेरी,तो मेरे साथ मैं और बस मेरी परछाईं थी....

सर्द हवाएं थी,रोशन फिजायें थी.... हराभरा मौसम था,हसीन सुबह थी... हवावो मैं ठंडक थी... फिजावो मैं रौनक़ थी... जब निंद खुली मेरी,तो मेरे साथ मैं और बस मेरी परछाईं थी....

सर्द हवाएं थी,रोशन फिजायें थी.... हराभरा मौसम था,हसीन सुबह थी... हवावो मैं ठंडक थी... फिजावो मैं रौनक़ थी... जब निंद खुली मेरी,तो मेरे साथ मैं और बस मेरी परछाईं थी....


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