मेरा रास्ते से गुज़रना और तेरा खिड़की से तकना,
तुम्हे सुकून तो मिल जाता,
लेकिन तुम्हे देखने की तड़प मेरी यूँ ही रह जाती,
तब इश्क़ सिर्फ तुम्हारा ही था, लेकिन शामिल अब मैं भी हो रहा था।
तुम ख़ास हो अब ये भी हम ही बताएंगे!
तो फिर क्या फायदा बचपन से दोस्ती का?