Sadhna Jain

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None अपने विचारों को शब्द देने की आकांक्षा है 🙏🏻🙏🏻

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एक भूख तो सबको होती है….. प्यार की ..!

सशक्त बनो सुदृढ़ बनो पर ... अपने मन से अपने विचारों से !

तन का दर्द दिखता है ...पर, भर्ता भी जल्दी है ! और.....! मन का दर्द दिखता नहीं है...पर, भर्ता भी जल्दी नहीं है !

जब से हम खुद से जुड़ने लगे, तब से हम लोगों से कम उलझने लगे !

समय जब अनुकूल न हो तब .. धैर्य की साधना आवश्यक हो जाता है !

स्वीकार यदि हार की अभिव्यक्ति है तो हार द्वार है नव निर्माण की !

मन के अन्दर वेदना हो, तो .... संवेदना सुख जाती है !!

अपेक्षाएँ अपनापन को चुरा लेती हैं!

ज़िन्दगी में जब “अटक”जाते है, तब “भटक”जाते है ! या फिर कह सकते है ...... जब भी “भटक” जाते हैं, तब ही “अटक” जाते हैं! 🌻सा 🙏🏻


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