एक भूख तो सबको होती है….. प्यार की ..!
सशक्त बनो
सुदृढ़ बनो
पर ...
अपने मन से
अपने विचारों से !
तन का दर्द दिखता है ...पर, भर्ता भी जल्दी है !
और.....!
मन का दर्द दिखता नहीं है...पर, भर्ता भी जल्दी नहीं है !
जब से हम खुद से जुड़ने लगे,
तब से हम लोगों से कम उलझने लगे !
समय जब अनुकूल न हो तब ..
धैर्य की साधना आवश्यक हो जाता है !
स्वीकार यदि हार की अभिव्यक्ति है
तो हार द्वार है नव निर्माण की !
मन के अन्दर वेदना हो,
तो ....
संवेदना सुख जाती है !!
अपेक्षाएँ अपनापन को चुरा लेती हैं!
ज़िन्दगी में जब “अटक”जाते है,
तब “भटक”जाते है !
या फिर कह सकते है ......
जब भी “भटक” जाते हैं,
तब ही “अटक” जाते हैं!
🌻सा 🙏🏻