Ajita Singh
Literary Lieutenant
120
Posts
0
Followers
0
Following

I'm Ajita and I love to read StoryMirror contents.

Share with friends

आत्मा को ले गए तुम प्रेम के महारास में प्रेम अमृत बनके बरसे विरह के वनवास में तुमको पाकर भी हूँ मैं तुमसे मिलन की आस में _ विशुद्ध प्रेम

'कांटे' लगे हैं पैरों में जहां से भी गुजरती हो चुभन छोड़ जाती हो जाने क्या होगा मेरा _विशुद्ध प्रेम ✍

लोगों से ,तो कब से करते आ रहे... अब थोड़ा ,खुद से भी कर लेते हैं _विशुद्ध प्रेम

बड़ी मुद्दत से ,मुद्दत की बात की है हर एक शाम अधूरी सी ,शुरुआत की है फर्क है उनकी नज़र का,नजरिए से हमनें तो मोहब्बत में जिंदगी बर्बाद की है _विशुद्ध प्रेम

मेरे मन की बंद दहरी पर प्रेम की हुई, एक नई परिभाषा मैं अधरों से कह नहीं पाती तुम समझे, वो मौन भाषा _ विशुद्ध प्रेम

देखो अमानत है , कितनी कयामत है तस्वीर तेरी दिल में , इतनी सलामत है यादों से अब तेरी पीछा छुड़ाना है...... पल भर में नहीं ये,एक जन्म लग जाना है _Ajita✍

सवांद दरमियान बनाए रखिऐ जुबान पर लगे ताले मन की कड़ियों में जंग लगा देते हैं !! _Ajita ✍

मुझे इश्क है साथियाँ हर बार तुमसे हुआ एक बार का ये नहीं सौ बार तुमसे हुआ _Ajita✍

कई विचित्र घटनाएँ,जो हमारे सामने घटित हुई हैं उन सभी अवघटित घटनाओं का प्रत्याशी हूँ मैं इंसान हूँ,आज भी कितना स्वार्थी हूँ मैं.... _Ajita ✍


Feed

Library

Write

Notification
Profile