Ritu Agrawal
Literary Colonel
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ये तेरे इश्क का खुमार मेरे चेहरे पर झलकता है, तेरा इश्क बोलता नहीं पर मेरा चेहरा शर्म से लाल करता है

प्रेम और आत्मसम्मान है स्त्री का सबसे बड़ा श्रृंगार, जिसकी चमक से रोशन होता उसका सारा संसार।

वो मेरे हर मर्ज की दवा है। वो तो सबसे बड़ी दुआ है। वो निराश रात की सुबह है। हाँ!मेरी माँ ही मेरा खुदा है। रितु अग्रवाल

सदा अपने बच्चों के लिए, हर माँ की,यही शुभकामना, कि कभी भी न हो उनका, किसी दुख-दर्द से सामना ।

आत्महत्या दूसरों के लिए चर्चा का विषय होती है, पर अपनों के लिए ज़िंदगी भर का अथाह दर्द.....

उसे ज़िंदगी तोहफ़े में मिली थी उसने उधार समझकर लौटा दी।

गुजरते हुए लम्हों से ,बस इतनी सी गुजारिश है कि सिर्फ, खुशनुमा यादें ही देकर जाना।

अस्त व्यस्त है,जिंदगी और व्याकुल हैं नैन, दर्शन दे दो सांवरे , भटक रही दिन- रैन।

कोई भी हत्यारा किसी इंसान की हत्या के साथ, इंसानियत की भी हत्या कर देता है।


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