कुछ पल की फुरसत कर ले इस भाग दौड की दुनिया से। मिलकर कुछ रो ले कुछ हॅंस ले समय मे उलझे इस पल से। आने वाले कल को किसने जाना समय न मिले फिर कल से। उस कल को भी आज फूरसत जिये इस फूरसत के दो पल से।
जिसने अपनी प्रतिभा को समय से समझा और जाना है। उसने बहुत दूर इंतजार करती अपनी मंजिल को पहचाना है। समय और उम्र की सीमा सब तोड उसे सबने जाना है। इस प्रतिभा के दम से हर दिल मे उसे अपना घर बनाना है।
खुशियों से आज ये जिन्दगी भरी है। इसमें हॅंसी की कुछ ऐसी महफिल लगी है। मुझे हर हाल खुश रहना है मेरे दोस्तों इन खुशियों से ही जिन्दगी मेरी सजी है।
आओ हॅंसी का गोल गप्पा खाये, खुद भी हॅंसे और सब को हॅंसाये। हॅंसी-हॅंसी से इस खेल में हम सब मिल कर डुबकी लगाये। हॅंसी-हॅंसी के खेल से सेहत और मन से सब को स्वस्थ बनाये। आओ इस हॅंसी की महफिल मे सब मिलकर धूम मचायें।
बीते लम्हों की यादों मे खोना अच्छा सा लगता है। यादों की लहरों में डूबना, तैरना सा लगता है। मुस्कुराहट आ जाती है जिन यादों को सोचकर। उन यादों के बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है।
घर का नाम सुन कुछ अपना सा महसूस होता है। दिल में कुछ राहत और आराम सा होता है। मैने दुनिया को बहुत घूम कर देखा है दोस्तों। घर से अच्छा न कहीं भी अहसास होता है।
Har muskil main sath khade ho jate hai papa, Paresani ko dil main chupa muskurate hai papa. Jindagi se kasse jitna ye sikhate hai papa, ab papa ban ke aapko samjhe pate hai papa.
kisi ke alvida kahna aasaan nahi, dil main kuch ajib se arman machalte hai. dikhti hai labon par hassi aur muskurahat, par bichudne ke daar se dil main aasun chalakte hai.