ये कैसा सितम किए जा रहे हो
गैरो के खातिर हमे भुलाए जा रहे हो,
क्या कमी थी मेरी मोहब्बत मे
जो तुम मुझसे दूर होए जा रहे हो..
उनसे मोहब्बत भरपूर हो जाए
जिन्हें देख कर चेहरे पर मुस्कान आ जाए,
जब जब बातें हो मोहब्बत की
सबसे पहले याद उसी की आ जाए..
ये हिज्र की रातें अब कटती नहीं है
मेरे दिल की बैचेनी अब मिटती नहीं है
मुझे ये दुनिया अब वीरानी लगती है क्योंकि
मेरे आँखों से उसकी तस्वीर अब हटती नहीं है ..