स्वतंत्रता ही शून्यता है और शून्यता ही स्वतंत्र
"स्वतंत्र न्याय" न्यायिक प्रक्रिया में अप्रयोज्य देरी होने पर मिलने वाला न्याय " अन्याय से भी ज्यादा घातक प्रतीत होता है! न्याय" स्वतंत्र न्याय की मांग करता है"