Sakshi Goel
Literary Colonel
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खामोश हूँ तो खामोश ही रहने दो, मुझे मेरे ख्यालो में कैद ही रहने दो।

मर्दो के बीच रहकर भी वो चीखती चिल्लाती है, इज्जत के नाम पर सिर्फ उसकी धज्जियां उड़ाई जाती है, खुद का जिस्म बेचकर मर्दो की हवस मिटाती है, और इतने कष्टो के बाद भी वो औरत 'कोठे वाली' कहलाती है।


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