#अक़ीदत
उस अलीम के सजदे मे झुकता है ये सर,
उस की रजा मे चलते हम,
बनी रहे , अकीदत उसी पर.
#मुंतज़िर
चले आओ ये निगाहें , आज भी मुतंजि़र है तेरी राहों में
खुदा से हर पल माँगते है तुम्हें दुआओं मे.
है मोहब्बत उनकी कमाल की
बिन अलफ़ाज़ों के
कर लेते है
दिल पर हमारे
दावे दारी
एक मुस्कान सजी लबों पर
देती हर मुश्किल का हल
हो जाए जीवन सफल
जमाने के इल्ज़ामों से बचने का बस यही नायाब तरीका था,
तेरे मेरे रिश्ते में
चिलमन का होना निहायत जरुरी था.