शर्तों में लिपटी नायाब तेरी मुहब्बत रास नहीं आती
इसके सिवा लबों पर कोई बात नहीं आती
ठुकरा दु तेरी मुहब्बत को
कमबख्त दिल से ये आवाज़ नहीं आती
" ख्वाहिश ज्यादा ना थी मेरी मांग में सिंदूर हाथो में चूड़ी और मेहंदी सजी हो नाम की तेरी"
" रहमत बक्श दे ऐ जिन्दगी इतना दर्द ना दे,
हम तो तेरा रोज ही
दीदार करते हैं।
" उसने देखा ही कहां मुझे की कितनी खुश हूं मैं उसके जाने से,
दिखावा हर रोज करती हूं
मैं उसके सामने किसी ना किसी बहाने से "
"कैसे कह दूं कि परवाह नहीं है मेरी उसे
गलतफहमियों में जीने का अपना अलग ही मजा है "
" टूटकर चाहने वाले का अक्सर यही हाल होता है एक खुश होता है अपनी दुनिया में तो दुजा बेहाल होता है।"
" सुकून भी बाजार में मिलता तो उसके सबसे बड़े खरीदार हम ही होते "
" तन्हाईयां अक्सर एहसास कराती है कि कितने अकेले होकर भी कितने मजबूत है हम "
" मैंने उसे चाहा दिलों जान से और उसने मुझे रुसवा किया महफ़िल में बड़ी शान से "