जब से तुम ख्वाबों में आने लगी हो
सबने सपने देखना छोड़ दिया हो जैसे
#मोतीलाल
तुमको जो पसंद है चलो वो गीत सुनाऊँ
खुदा के दर पर आके क्या यह गीत गाऊँ
#मोतीलाल
कोई खुद पर कितना ऐतबार करे
जब वफ़ा ही खुद से इन्कार करे
#मोतीलाल
खाई के उस पार जो हरियाली छाई है
काश उसका कुछ अंश इस पार भी होता
#मोतीलाल
यकीं के जमीं पर बस मेरी यही चाहत है
जमीं से आसमां तक तुम्हारी ही चाहत है
#मोतीलाल
आज पुरानी यादों से भर गया आँखों में पानी
तेरे राग से मेरे सुर मिलकर जवां हुई जिंदगानी
#मोतीलाल
एक प्यार का नगमा है जीवन की यही कहानी है
तू जो मिले जीवन में बस यही तो बहता पानी है
#मोतीलाल
आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू
चूल्हे की आंच में क्यों भला जलती है तू
#मोतीलाल
खुदा भी आसमां से इस जमीं को देखता होगा
इस जमीं को खून से किसने रंगा सोचता होगा
#मोतीलाल