दूरीयां ही अच्छी हैं कड़वाहट के साथ
क्योंकि नजदीकीयां दर्द देती हैं मिठास के साथ
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दूरीयां ही अच्छी नहीं हैं कड़वाहट के साथ
क्योंकि नजदीकीयां दर्द देती हैं मिठास के साथ
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जीवन में नासूर बन जाते हैं वो ज़ख्म जो मिलते है बिना किसी कसूर के, जीवन भर रीसते रहते है यादों के सहारे
अच्छी भली गुज़र रही थी ज़िन्दगी मगर,
ठहरा जो घड़ी भर को मैं सब कुछ ठहर गया
सफर में हो साथ तुम्हारा
हर खुशी और गम का हो सहारा
तुम ना हो साथ मेरे सफर रहे अधूरा हमारा
सिगरेटे राख यू हीं नही होती साहब
ना जाने हर कश में कितना सोचा जाता है बीते लम्हो को
सफर में रूकावटें बहुत है
जिन्दगी के सफर में दे सकते हो क्या साथ।
इश्क का नशा बिखेर भी देता है सम्भाल भी लेता है
दोस्ती का नशा ऐसा कि वो सदा आबाद ही रखता है।
ये कहना मृत्यु अटल सत्य है
कितना सरल, जब नजदीक आये तो रूह कपंकपां देती है।