जहाँ अभी तक कल की कोई फ़िक्र न थी।
वहाँ अभी कल को लेकर नींद ही नहीं।।
है तो बहुत कुछ कहने को ऐ-जिंदगी,
लेकिन कर भी क्या सकते हैं।
जिससे भी कहना चाहो, हर एक की अलग कहानी,
न मैं कुछ कर सकता किसी के लिए, न ही वो मेरे लिए,
हम तो बस तेरे हाथों में कठपुतलियों की तरह सबको बताते कहानी हैं।।
अब एक अजीब सा डर लगने लगा है।
कल को लेकर आज भी बिगड़ने लगा है।।