प्रसन्नता के प्रसाद ग्रहण कीजिए। प्रेम व प्रेरणा का ही संग्रह कीजिए।। कवयित्री-डॉ. ऋचा शर्मा "श्रेष्ठा" करनाल (हरियाणा)
अर्थपूर्ण बातें ही कबूल होती हैं। व्यर्थपूर्ण वार्ता फ़िज़ूल होती हैं।। कवयित्री-डॉ. ऋचा शर्मा "श्रेष्ठा" करनाल (हरियाणा)
परिवर्तन की प्रवृत्ति स्वयं पर हो निर्धारित। निर्णय होना चाहिए बस खुद पर आधारित।। कवयित्री-डॉ. ऋचा शर्मा "श्रेष्ठा" करनाल (हरियाणा)
अर्थपूर्ण बातें ही कबूल होती हैं। व्यर्थपूर्ण वार्ता फ़िज़ूल होती हैं।। कवयित्री-डॉ. ऋचा शर्मा "श्रेष्ठा" करनाल (हरियाणा)
समय चाहे अनुकूल हो या हो प्रतिकूल। कभी नहीं होनी चाहिए हमसे कोई भूल।। किसी भी अपशब्द से नहीं चुभोना शूल। हर समय बना रहे आपका ये ही उसूल।। डॉ. ऋचा शर्मा (09/04/2020)
बचपन का समय लगता है सभी को बहुत प्यारा। हर कोई होता है अपनी माँ की आँखों का तारा।। जवानी का समय भी होता है सच में सबसे न्यारा। अंत में केवल वृद्धावस्था में ही आकर इंसान हारा।। डॉ. ऋचा शर्मा (08/04/2020)