जीवन परिचय
नाम- जयशंकर पाण्डेय
माताजी का नाम- श्रीमती गीता पाण्डेय
पिताजी का नाम- श्री अशोक कुमार पाण्डेय
स्थायी निवास- ग्राम- चकवा(कल्ला-भट्ठा)
पोस्ट- देवरिया
जिला-बलरामपुर (उ०प्र०)
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जीवन परिचय
नाम- जयशंकर पाण्डेय
माताजी का नाम- श्रीमती गीता पाण्डेय
पिताजी का नाम- श्री अशोक कुमार पाण्डेय
स्थायी निवास- ग्राम- चकवा(कल्ला-भट्ठा)
पोस्ट- देवरिया
जिला-बलरामपुर (उ०प्र०)
पिन कोड- 271201
मो०नं०- 7905217683
Email-jayshankarpandey9012@gmail.com
जन्मतिथि- 18/07/1996
शिक्षा- बी०ए०, एम०ए०(जारी)
प्रकाशित पुस्तकें- मुक्ततरंगिनी (साझा काव्य संग्रह)
बज्म-ए-हिंद(साझा काव्य संग्रह)
भावांजलि (साझा काव्य संग्रह)
भावांजलि-३( साझा काव्य संग्रह)
"बज्म-ए-हिंद" (साझा काव्य संग्रह) विश्व के सबसे बड़े साझा काव्य संग्रह. के रूप में गिनीज बुक अॉफ वर्ड रिकार्ड में दर्ज।
तथा विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कृतियों का प्रकाशन होता रहा है जिनके नाम निम्न हैं-
मासिक पत्रिकायें- साहित्यनामा, विचारवीथिका,
साहित्य सुषमा- काव्य स्पंदन,
साहित्य अर्पण, संगम सवेरा आदि
दैनिक समाचार पत्र- अमर उजाला, वर्तमान अंकुर,
हरियाणा प्रदीप, विजय दर्पण टाइम्स आदि
बचपन से ही परिवार में धार्मिक व सांस्कृतिक परिवेश होने के कारण तथा मेरे दादाजी (स्व० रामाचार्य पाण्डेय) का मेरे शिक्षा व संस्कारों पर विशेष ध्यान के कारण धीरे- धीरे मेरा रुझान साहित्य की ओ बढ़ा।
मेरे दादाश्री व पिताश्री बचपन से ही "श्रीरामचरितमानस", "राधेश्याम रामायण", पढ़ाते तथा फिर लयबद्ध तरीके से सुनते तथा घर में पूजास्थल पर विभिन्न स्तुतियों का गायन करने को प्रेरित करते थे
जैसे- हे प्रभु आनंददाता......., माँ शारदा कहाँ तू वीणा बजा रही है़........., हनुमान व शिव चालीसा आदि।
साथ ही साथ स्कूलों में आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए हमें प्रेरित करते रहते थे तथा राष्ट्रीय पर्वों पर देश भक्ति गीत के प्रस्तुति के लिए देश भक्ति गीतों की पुस्तकें मुहैय्या करवाते व उनमें जो गीत सबसे अच्छा लगे उसे प्रस्तुति से पहले हमसे कई बार सुनते।
धीरे-धीरे मुझे भी कवितायें पढ़ना व सुनाना बहुत अच्छा लगने लगा।
यही सिलसिला चलता रहा तथा मैं लगभग कक्षा-7 या 8 में रहा होऊँगा तब मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं जो अभी भी हमें याद है-
लहर-लहर लहराये तिरंगा
फहर-फहर फहराये तिरंगा
हम बच्चों को बुलाये तिरंगा
शान अपनी दिखाये तिरंगा
मेरे देश का तिरंगा, मेरे देश का तिरंगा
इस तरह माँ वीणापाणि, मेरे दादाजी, माताजी,पिताजी, गुरुजन व समस्त छोटे-बड़ों के स्नेह व शुभाशीष से मेरी लेखनी भी साहित्य सृजन के लिए पिछले एक वर्ष(2018) से प्रयासरत होने लगी तथा अब तक प्रयास जारी है। Read less