हमसफर
तु जो नहीं है तो
कुछ भी नही हैं
ये माना की महफिल
जवा हैं हसी हैं
निगाहों में तु हैं
ये दिल झुमता हैं
निगाहो में तु हैं
न जाने मोहब्बत की
राहो में क्या हैं
जो तु हमसफर हैं
तो कुछ गम नहीं हैं
ये माना की महफिल
जवा हैं हसी हैं!
में दिल हू
तुम सांसे
में जिस्म हु
तुम इबादत
मै नशा हू
तुम आदत
तुम मेरे हो
ऐसी हम जिद्द
नहीं करेंगे
मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे
ये तो हम
हक्क से कहेंगे