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साँकल

साँकल

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  पिछले दो सालों से साथ पढ़ती पायल और पूर्वी अब तक फास्ट फ्रैन्ड बन चुकी थी , लेकिन पायल घर कम ही आती और आती तो बाहर बाले कमरे तक।
>>            मम्मी ईशान कोण में बने पूजा गृह के समक्ष ऊन से बने धवल आसन पर बैठ चुकी थी।कितनी पवित्र लग रही थी खुले गीले बालों में ।मानो केशों से पानी के मोती टपक रहे हो ।
>>       मम्मी आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ के लिये आचमन कर चुकी थी अब तो वह बोलेगी नहीं जब तक "ऊँ अस्य श्री बाल्मीके  रामायणे आदित्य ह्दय स्तोत्र ऊँ तत्सत "नही कह लेती ।
>> मन ही मन सोचती पूर्वी ने धीरे से कार्ड  मम्मी के पास रख दिया और ख़ुद काम में लग गयी।
>>     "किसका कार्ड है यह, और  यहाँ किसने रखा ?? "
>> कार्ड पर नज़रे गड़ाये मम्मी गुस्से से उबल रहीं थी
>> मम्मी पायल के भाई की शादी है , और बही कार्ड दे गयी ।आप पूजा से उठते ही देख लो ,इसलिये मैंने ही रख दिया। क्या कुछ गलत हुआ ?? पूर्वी ने सहमते हुये पूंछा।
>> हे भगवान!!! धरम भ्रष्ट कर दिया पूर्वी तूने। एक ब्राह्मण के यहाँ जन्म लेके एक वाल्मीकि से दोस्ती ।तुझे कोई और सहेली नहीं मिली ।देख कार्ड पर बाकायदा पायल के भाई के नाम के आगे बाल्मीकी लिखा है ।ये लड़की न...........आगे से तुम्हारी पायल से दोस्ती खत्म और हाँ कार्ड कूड़ेदान में डालकर नहाओ ।और मैंने भी तो कार्ड छू लिया है मुझे भी अब दोबारा नहाना पड़ेगा।ऊँहूँ...............
>>       :लेकिन मम्मी  आप तो रोज ही वाल्मीकि  का लिखा स्तोत्र पढ कर पुण्यार्जन करती हो और पवित्र होती हो ।" पूर्वी ने डरते डरते कहा
>> चोऽऽऽप्प ।मम्मी की धारदार आवाज रीढ़ की हड्डी चीर गयी।


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