Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Amit Raj Sharma

Inspirational

1.7  

Amit Raj Sharma

Inspirational

त्याग की देवी

त्याग की देवी

2 mins
26.2K


भाभी सा को देखने के बाद उनमें कुछ अधूरापन महसूस हुआ। बहुत सोच - विचार के बाद स्मरण हुआ, जब भाभी सा नई- नवेली दुल्हन बनकर हमारे घर में कदम रखी थी, उनके पैरो की पाजेब की झनकार से घर - आंगन संगीतमय हो जाया करता था, लेकिन अब वो सुखद झनकार सुने वर्षों हो गये।

मैं जब से शहर से आया था उसी दिन से इसी सोच में डूबा था - आखिर बात क्या हुई, भाभी सा ने पाजेब ही क्या, सभी गहने अपने शरीर से प्रथक कर दिए? वैसे आभूषण तो स्त्री की शान होते हैं, मैं इस कशमकश में और उलझन में था। आखिरकार मैंने पूछा- "क्या हुआ भाभी सा आभूषण तो स्त्री जात की शान होते है और एक आप है----क्या आपको आभूषण पहनना पसंद नहीं या फिर ?"

"आभूषण तो मुझे पसंद है देवर सा परन्तु मैंने त्याग कर रखा है।"

" कैसा त्याग ?"

"पत्नी का सबसे बड़ा गहना उसका पति होता है, आपके भाई आर्मी में ठहरे, उनकी जान को कोई ख़तरा न हो और वो सही - सलामत रहे। इसलिए मैंने ---"

भाभी सा की बात ने मेरे तन और मन दोनों को हिलाकर रख दिया। अक्सर सुनता आया था स्त्री जात त्याग के देवी होती है लेकिन आज देख भी लिया। लोग गलत कहते है कलयुग में सीता जैसी नारी नहीं नारी तो है परन्तु उनको देखने के लिये राम जैसी आँखें नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational