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भाषा ही अनमोल

भाषा ही अनमोल

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मातृभाषा संस्कृति की संवाहक है, जिसे ध्वनि ऊर्जा के माध्यम से शब्द रूप में ग्रहण किया गया, शब्द ब्रह्म, मनुष्यता को उच्चतम विकास तक पहुंचाने वाली अभिव्यक्ति का माध्यम बनी भाषा।

मातृभाषा, यह माँ की लोरी समान है , किसी क्षेत्र विशेष की भाषा वहां के सामाजिक संस्कृति परिवेश की माला के रूप में पिरोई हुई पहचान बनकर सदैव संस्कारित जीवन की प्रेरणा देती है । यह आत्मा की आवाज है, जो माँ के आंचल में पल्लवित हुई अनमोल मातृभाषा ही बालक-बालिकाओं के मानसिक-विकास को पहला शब्द सम्प्रेषण देती है । भावनाओं के आदान-प्रदान की भाषा ही अनमोल ।


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