लड़के कभी रोते है भला ?
लड़के कभी रोते है भला ?
जब मैं सात साल का अपनी था मेरी छोटी बहन राइमा से खिलौने के लिए झगड़ा हो गया। राइमा ने खिलौने देने से मना कर दिया।
मैं रोते- रोते मम्मा के पास जाता है....
मम्मा राइमा मेरे खिलौने नहीं दे रही है ?
इसमे रोने वाली बात है क्या? तेरी छोटी बहन है जाने दे, मैं तुम्हें दूसरा दिला दूँगी।
हर बार आप यही कहती हो कि दूसरा दिला दूगी पर कभी नहीं दिलाती। मैं फिर रोने लगा।
ये क्या लड़कियों जैसे रो रहे हो, लड़के कभी रोते है भला ?
ये पहली बार नहीं था कि मम्मा ने कहा, जब भी मैं कभी किसी वजह से रोता तो मम्मा यही कहती थी। मेरे दिमाग में ये घर कर गया "क्योंकि लड़के कभी रोते नहीं" और धीरे धीरे मैंने रोना कम कर दिया।
जब मैं दस साल का हो था। मैच खेलते वक्त बाल गल्ती से मेरे सर पर लग गयी। दर्द इतना कर रहा था मेरे आँखों से आँसू गिरने लगे पर मैं रोया नहीं।
जब घर गया माँ हल्दी, तेल गरम कर के लगाई और पूछा तुझे इतनी तेज बाल लगी थी सर पर तुम रोऐ नहीं क्यूँ ?
क्या तुम्हें दर्द नहीं हुआ ?
माँ दर्द तो बहुत हुआ पर आप ही कहते हो कि लड़के कभी रोते नहीं तो मैंने सारी दर्द अंदर ही अंदर सह लिया।
माँ के आंखों में आँसू आ गया नहीं बच्चा "दर्द तो हर इंसान को होता है और अपने दर्द को रोकर आंसुओं के साथ बहा देना चाहिए।
और अगली बार जब कभी तुझे दर्द और तकलीफ हो तो रो लिया कर सुकून मिलेगा।
तो क्या माँ लड़के रो सकते हूं
हाँ मेरा बच्चा बिलकुल रो सकते हैं।
कितना गलत करते हैं हम अपने बेटे के सामने हमेशा यही कहते हैं कि "लड़के कभी रोते नहीं" पर क्यूं नहीं रो सकते हमारी तकलीफ तकलीफ है उनकी तकलीफ कुछ नहीं।उनको भी चोट लगती है, दर्द होता है।