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Jai Prakash Pandey

Fantasy

5.0  

Jai Prakash Pandey

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नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे

नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे

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      बुढ़ापे में नींद ऐसे भी आती नहीं और थोड़ा झपकी लगी नहीं कि ख्वाब हबड़धबड़ घुस आते हैं नींद में। बहुत दिनों से नीचे की मंजिल में रहने वाले शुक्ला शुक्लाइन ने तंग करके रखा है, ऊपर पहली मंजिल में हम दोनों डुकरा डुकरी रहते हैं ।उमर भी 65 पार हो गई है । आठ साल पहले दोनों घुटने खराब हो जाने के कारण दोनों घुटनों का ऑपरेशन कराया । अब दोनों घुटने नकली हैं । पत्नी माइग्रेन सुगर और हार्ट की मरीज हैं । एक बार पेट में दर्द हुआ था तो किडनी चोरी हो गई थी बिना वजह हार्ट में छल्ले डाल दिये गये। डाक्टर की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। तो बात हो रही थी शुक्ला की जो पशु चिकित्सक और उनकी पत्नी शुक्लाइन मास्टरनी है छड़ी रखने का उसका शौक है स्कूल में भी खूब छड़ी चलाती है। तो आज के सपने में अचानक शुक्ला शुक्लाइन छड़ी लेकर खड़े हो गए, कहने लगे - छत से पानी नीचे नहीं आना चाहिए, भले ही पाईप लगा है तो क्या हुआ। यदि छत से पानी नीचे आ गया तो जान से मार देंगे। कमरे में टेबिल कुर्सी के खिसकने की आवाज नहीं होनी चाहिए । यदि आवाज होगी तो जिंदा नहीं बचोगे ।किसी भी तरह के बर्तन की आवाज नहीं होगी खाना बने या न बने । ये लोग एक रौबदार आई ए एस के रिश्तेदार हैं। इनका कहना है कि जहां जाना है जाओ देश के सारे विधायक सांसद मंत्री पुलिस आई ए एस वकील जज सभी इनके अपने हैं । कहीं कोई सुनवाई नहीं होगी । यदि गए तो जेल में डाल दिए जाओगे । अच्छा है मकान छोड़ दो नहीं तो मारे जाओगे।पूरा सपना धमकियों से भरा....... अचानक नींद खुल गई देखा तो सच में शुक्लाइन डंडा लिए दरवाजा भड़का रही हैं। कहते हैं कि जिस बात से आप डरते हैं वह अवश्य घटित होती है और कभी कभी सपने में दिख जाता है ।हुआ यह था कि रात में कुछ पलंग खिसकने की हल्की सी आवाज हो गई थी और सुबह-सुबह शुक्लाइन्न सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर आ गई । जैसे ही डोर वेल बजी मैंने जाकर देखा शुक्लाइन अपनी ऊंचाई से दो इंच लम्बा लट्ठ लिए दरवाजे पर खड़ी थी । 

मैंने कहा ," अंदर आइए " उन्होंने कहा ,

"नहीं !"  

मैं इसलिए आई हूं कि आप इस लट्ठ से मुझे मारिये , ताकि आप के अंदर का सारा गुस्सा निकल जाए और आप कुर्सी मेज खिसकाना बंद कर दें !" मैंने कहा, " महापाप ! मैं तो चींटी भी नहीं मारता, फिर भला एक महिला और वह भी ब्राह्मण, को कैसे मार सकता हूं । मारने का काम तो आपका है ।आप तो कुर्सी खिसकने की आवाज होने पर ही जान से मारने की धमकी देती हैं। आपका कुछ बिगड़ने वाला भी नहीं क्यों कि भारत के सभी सांसद, विधायक, मंत्री , मुख्य मंत्री, पुलिस जज सब आप के पक्ष में हैं।"


   " भला मैं क्यों किसी को मारने वाली, मैं तो चींटी भी नहीं मारती" उन्होंने कहा, "और भारत के सारे ये लोग मेरे पक्ष में कैसे हो सकते हैं ? आजकल खानदान के सारे लोग तो पक्ष में होते नहीं !" मैंने कहा, " मुझे क्या पता? आपने ही पिछले दस महीने से ऐसा कह कर हम दोनों को डरा रखा है ।"

" हां यह तो है" उन्होंने कहा," मैं चाहती हूं कि सारे लोग मुझ से डर कर रहें।" 

"लेकिन क्यों ?" मैं ने पूछा !

"बस ऐसे ही , यह शौक है मेरा । अच्छा अब चलती हूं।" 

शुक्लाइन अब लट्ठ ठक ठक करते हुए सीढ़ियां उतर रही थी। और मैं सुबह-सुबह देखा सपना पत्नी को बता रहा था। पत्नी ने बताया कि जब जब मैं सपने में शुक्लाइन को मरा हुआ देखती हूं तब तब उसकी उम्र बढ़ जाती है।



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