हादसा
हादसा
क्या हादसा वही होता है जो किसी दुर्घटनाबस घटित हुआ हो ? नहीं, एक अजीब सी खामोशी, आँखों में उम्र भर के लिए नमी और दिल का टूटकर बिखर जाना क्या हादसे से कम है ?
ऐसा ही हादसा घटित हुआ है मेरे एक अजीज मित्र राकेश के साथ राकेश मेरा बहुत अच्छा मित्र है और कहीं न कहीं उससे मेरी मुलाकात होती ही रहती है । राकेश के दिल में नैनों की गुस्ताख़ी और शरारती हरकतों ने उम्र भर के लिए एक ऐसा दर्द भर दिया जो उसके जीते जी शायद ही कभी ठीक हो ।
एक दिन मैं और राकेश घर के पास वाले मैदान में अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे और राकेश ने अचानक ऐसा सॉट मारा कि गेंद सीधे ही मैदान की दीवार से होती हुई पड़ोस के घर में जा पहुंची मैंने राकेश को गेंद लेने भेजा तो उसने घर में एक बेहद खूबसूरत लडकी को देखा और देखते ही सबकुछ लुटा बैठा । राकेश वापस गेंद लेकर तो आ गया लेकिन खेलने में उस दिन के बाद उसका कभी मन नहीं लगा ।
दिन व्यतीत होते गये और बक्त ढ़लता गया और राकेश हर रोज उस लड़की के घर के सामने मैदान में बैठकर उसे निहारता रहता था ।
कुछ समय बाद नैनों की गुफ्तगू दोनों ओर से शुरू हो गई और बात फोन तक आ पहुंची दोनों एक दूसरे से मिलने लगे और प्यार बढता गया और आखिरकार वक्त ने करवट ले ही ली कुछ ही दिनों में उस लड़की का किसी दूसरे शहर में पढाई के लिए दाखिला हो गया जहां उसकी मुलाकात एक शहरी नौजवान से हो गई उसका दिल उस पर मचल बैठा और राकेश से दूरी बना ली । राकेश के घर की स्थिति दयनीय होने के कारण वह गांव में ही रह गया ।
जब वो लड़की शहर गई तो राकेश से विदा लेकर गई लेकिन जब कुछ दिन बाद लौटकर आई तो राकेश को उसने देखकर अनदेखा कर दिया और धीरे-धीरे उसने राकेश से सम्पर्क खत्म करना चाहा और अंतत: फैसला यही निकला कि - "मैं तुमसे बात नहीं कर सकती !"
उसी दिन से राकेश आज तक गहरेे सदमे में है, मैं जब भी उससे मिलता हूँ, हालचाल पूछता हूँ, वह थोड़ा मुस्कुराता है, गले लगता है और एक अजीब सी आवाज में कहता है "तुझे तो सब पता है यार फिर क्यों पूछता है।"
उसके इस जवाब से ऐसा लगता है मानो उसके लिए सारी कायनात फ़ीकी पड़ गई हो ।
गौर करने की बात ये थी कि क्या वाकई लोग वक्त के साथ इतना बदल जाते हैं ?