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Anjali Sharma

Children Stories

5.0  

Anjali Sharma

Children Stories

दादी की डायरी

दादी की डायरी

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विन्नी झुंझलाती हुई स्कूल से आयी और बैग सोफे पर पटक दिया।

"अरे क्या हुआ विन्नी?" उसे देख दादी ने कहा।

"दादी मैथ का ढेर सारा होमवर्क मिला है आज। मम्मी पापा ऑफिस के टूर पर हैं और ट्यूशन सर भी इस हफ्ते छुट्टी पर हैं, मुझे कुछ चीज़ें ठीक से समझ नहीं आयीं, अब कैसे करूँ?"

"पहले ये पानी पियो और तसल्ली से बैठो,मुझे भी भूख लगी है। पहले खाना खाते हैं और फिर सोचते हैं क्या किया जाए"।

खाने की टेबल पर दादी ने पूछा।

"कौन सा विषय पढ़ रही हो गणित में?"

"ज्योमेट्री"

"अगर मैं पढ़ा दूँ तो?"  

"आप?" विन्नी चौंक कर बोली। "आपको...?"

"अरे तुम क्या समझती हो अपनी दादी को? ज्यामिति में अव्वल थी मैं, गणित के सिद्धांत थोड़े बदले हैं? आओ कुछ दिखाती हूँ तुम्हें।"

दादी ने अपने कमरे में एक कार्डबोर्ड का डब्बा निकाला,उसमें कई पुरानी डायरियाँ और नोटबुक करीने से बंधी रखी थीं।

"ये क्या है दादी?"

"मेरा खज़ाना,मुझे बचपन से पढ़ने और नए विषयों के बारे में सीखने का बहुत शौक था। गृहणी थी और खाली समय में जो भी नया पढ़ती सीखती, उसे उस विषय की डायरी में लिख लेती और ये है ज्यामिति और गणित के फॉर्मूलों की डायरी।"

विन्नी हैरान थी, डायरी के पीले पन्नों में सफाई से सुन्दर नीली स्याही में गणित के फॉर्मूले और डायग्राम बने थे।

"अरे वाह दादी आप तो जीनियस निकलीं, ये तो मुझे पता ही नहीं था।"

"हाँ, और दिखाऊँ?"

एक डायरी में अचार व्यंजन की रेसेपी, एक में स्वेटर, बुनाई के डिज़ाइन तो एक में बैंक और निवेश का ब्यौरा, किसी में पसंदीदा कवितायें, गीत तो किसी में पूजा विधियां।दादी की ये कला देख कर विन्नी आश्चर्यचकित थी। 

"मगर आप तो ये सब कभी पढ़ती ही नहीं?"

"हाँ रोज़ नहीं पढ़ती, मगर सीखी हुई चीज़ कभी न कभी जीवन में काम आ ही जाती है,विद्या और ज्ञान वो निधि है जो कभी तुमसे कोई छीन नहीं सकता। नयी जानकारी हमें आसपास की दुनिया को समझने में मदद करती है। और खाली दिमाग शैतान का घर, सुना है न? जैसे शरीर को व्यायाम की आवश्यकता है वैसे ही मस्तिस्क को भी कुछ नया करने, सीखने की ज़रुरत होती है। मेरा मन पढ़ने, कुछ बनाने और कुछ सीखने में ज़्यादा लगता था। इधर उधर की बातों, कानाफूसी से हमेशा दूर ही रहती थी। कभी किसी और के कामों में दखल देने की फुर्सत नहीं मिली क्योंकि खुद को हमेशा व्यस्त रखा। जब बच्चे बड़े हुए तो कुछ साल एक छोटे से विद्यालय में सेवार्थ पढ़ाती भी थी। ये सब न करती तो मैं उस टीवी सीरियल वाली सास की तरह होती।"

"दादी नहीं नहीं नहीं!!! आपने इतनी बड़ी बात कैसे छुपा कर रखी! ये ज़रूर कोई षड़यंत्र है!" विन्नी ने टीवी सीरियल की नक़ल करते हुए नाटकीय अंदाज़ में कहाऔर दादी पोती हंस हंस कर लोटपोट हो गयीं। दोनों ने मिलकर सवाल समझे और हल किये और दादी की करामाती डायरी काम आ गयी।


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