Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

आजादी

आजादी

3 mins
381


जैसे-जैसे रात गहरा रही थी, कमला की छटपटाहट बढती ही जा रही थीं! रम्मा भाभी, कोठी वाली मैडम, बंगाली आंटी... सब की सब उसे घेर कर एक साथ चिल्ला रही थीं... कैंची चुरा लिया, लड्डू चुरा लिया... पिंटू चोर है... बाबू का खिलौना उठा ले गया... वो रोक रही थी सबको... बता रही थी पिंटुआ चोर नहीं है, उसने समझा दिया है उसको... अपनी कसम खिलाई है, अब वह किसी का सामना नहीं छूता। ऐसा कोई काम नहीं करेगा अब वो, पर कोई मानता क्यों नहीं? जब मैडम की फ्रीज़ से लड्डू निकाल कर खाया था, चार बरस का बच्चा था। भूखा रहा होगा... समझ नहीं सका होगा या लड्डू देख कर ललचा गया होगा पर ये बात तो पाँच बरस पुरानी है न? अब बड़ा हो गया है, समझने लगा है, पर बदनामी है कि पीछा छोड़ने को तैयार ही नहीं! इतनी छोटी सी बात सबको पता भी चल गई और सबने बच्चे के सिर पर मानों लिख ही दिया कि वो चोर है। जिसके भी घर में कुछ खोता है, वो पिंटू का नाम लेने लगता है... फिर वही थुक्का-फजीहत शुरू हो जाती है भले बाद में वो सामान उन्हीं के घर में निकल आए। वो लड़ती है, काम छोड़ कर दूसरे के घर का चौका बरतन पकड़ लेती है पर ये बदनामी वहाँ भी पँहुचने में वक्त नहीं लगाती। बस चले तो मुहल्ला ही छोड़ दे वो, पर फिर काम कैसे चलेगा? दूसरे मुहल्ले में आने जाने के समय में तो एक घर का काम निबटा ले वो। सुबह से रात होने तक पिंटू को साथ लिए, डाँग-डाँग घूमती रहती है। बाकी दाईयाँ जितने समय में चार घर निबटाती हैं वो सात घर का काम कर लेती है, इसी से जलती हैं उससे वो लोग! ये नहीं दिखाई पड़ता किसी को, कि दो पैसे की लालच में अपने शरीर की तरफ तो देखना ही छोड़ दिया है उसने... पर पैसे का ही कौन सा सुख मिल रहा है उसे.. वह उदास होकर सोंच रही थी, सारा तो पिंटू का बाप ही छीन ले जाता है... " पोछा मारने में इतना समय लगता है? बता क्या कर रहा था उस रूम में इतनी देर? अलमारी तो नहीं खोली थी?" "बचपन से चोर है, बड़ा होकर डाकू बनेगा।" "पलक, उसके साथ मत खेलो। कहीं वैसी ही बन गई तो मैं तो घर से ही निकाल दूँगी तुम्हें!" पर पैसे का ही कौन सा सुख मिल रहा है उसे.. वह उदास होकर सोंच रही थी, सारा तो पिंटू का बाप ही छीन ले जाता है... " पोछा मारने में इतना समय लगता है? बता क्या कर रहा था उस रूम में इतनी देर? अलमारी तो नहीं खोली थी?" "बचपन से चोर है, बड़ा होकर डाकू बनेगा।" "पलक, उसके साथ मत खेलो। कहीं वैसी ही बन गई तो मैं तो घर से ही निकाल दूँगी तुम्हें!" आवाज़ें पीछा ही नहीं छोड़ रही थीं उसका! दम घुट जा रहा था तो वह छाती पकड़ कर उठ बैठी, सारा बदन पसीने से तर-बतर था... क्या बन कर तैयार होगा पिंटुआ? थोड़े से पैसों की लालच में क्या बना रही है वो अपने बेटे को? तो क्या आँगनबाड़ी वाली दीदी की बात ही सही है? उस समय क्यों नहीं समझ में आया था उसे? कल से पिंटू को लेकर कहीं नहीं जाएगी वह, पढ़ाएगी उसको! कल ही सबेरे स्कूल में दाखिला कराएगी उसका। कोने वाला स्कूल सुना है बहुत अच्छा है, वो वहाँ के फादर को जानती भी है। जाकर पैर पकड़ लेगी उनका! तनख्वाह मिलते ही पहले स्कूल में जमा कर आएगी... पल्ले में पैसा बचेगा ही नहीं तो क्या छीनेगा पिंटू का बाप? चमड़ी? तो खींच ले चमड़ी, पर करेगी अब वो अपने ही मन का! मेहनत करती है, कमाती है तो खर्च करने की आज़ादी अगर कोई नहीं देता तो छीन कर ही सही, वह खुद लेगी! इसके लिए अंगारों पर भी चलना पड़े तो चलेगी वह!


  


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama