टपरी की यादें (अंतिम भाग )
टपरी की यादें (अंतिम भाग )
रोहन और रेहाना फिर से बातों में मशगूल हो गए। दोपहर के 2 बज गए थे दोनों को यहां आए 3 घंटे हो चुके थे लेकिन दोनों का यहां से जाने का मन नहीं कर रहा था।
तभी रोहन के पास किसी का कॉल आ गया, "बेटा, आप कब मिल रहे हो हमसे?" दूसरी तरफ से आवाज़ आई,
" ठीक है, मैं 4 बजे गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर मिलता हूं आप वहीं आ जाना।" इतना कहकर रोहन ने फोन काट दिया।
रोहन ने काफी अनमने मन से कहा," रेहाना, मुझे आज का टिकट कैंसल कराना है। तो स्टेशन जाना पड़ेगा और एक अंकल भी शादी के सिलसिले में मिलने की ज़िद कर रहे है। अब दोनों को चलना चाहिए।" रेहाना ने कहा," ऐसा करती हूं मैं आपको स्टेशन तक छोड़ दूँगी फिर मैं घर चली जाऊंगी, आप अपना काम करके उन अंकल से मिल भी लेना और लड़की भी अच्छे से देख लेना।" इतना कहकर दोनों वहां से उठकर बाहर आ गए।
तभी रेहाना ने कहा कि टपरी की फोटो तो लेते है। फिर दोनों ने टपरी के बाहर खड़े होकर एक दूसरे की फोटो ली। तभी रेहाना ने टपरी के बाहर खड़े वॉचमैन को बुलाया," भैया, प्लीज़ हम दोनों की फोटो ले लो।" वॉचमैन ने दोनों की कई सारी फोटो ली और कहा कि दोनों की जोड़ी मस्त लग रही है।
रेहाना," देखो भैया, ये मुझसे मिलने आया है शादी के लिए। पसंद आऊंगी या नहीं"? वॉचमैन ने रोहन की तरफ देखते हुए कहा," सर, कैसी लगी मैडम"? रोहन ने कहा,"अरे एकदम सुपर है मैडम, मुझे तो बहुत पसंद है, मैं बस इसी के बारे में सोच रहा हूं, वैसे टपरी याद रहेगी।"
तभी बीच में ही रेहाना," फिर भैया, इनसे पूछो ये स्टेशन क्यों जा रहे है"? वॉचमैन दोनों की नोंकझोंक देखकर खुश हो रहा था उसने कहा,"सर और मैम आप दोनों की जोड़ी मस्त है, मैं तो भगवान से दुआ करता हूं कि आप दोनों की जोड़ी को किसी की नजर ना लगे। शादी के बाद दोनों फिर से एक बार ज़रूर आना"। रेहाना ने कहा ," ठीक है भैया ज़रूर आएंगे "।
रेहाना ने स्कूटी स्टार्ट की और दोनों वहां से चल दिए। " रोहन, कभी ऐसी लड़की देखी है क्या जो के मिलने आई है और अब उसे किसी और से मिलने को छोड़ने जा रही है" रेहाना ने कहा। रोहन ने छेड़ते हुए कहा," हां अभी अभी देखी है उसका नाम रेहाना है"।
इस तरह दोनों बातचीत करते हुए आगे बढ़ते हुए जा रहे थे। तभी रेहाना, "लो आ गया आपका स्टेशन, अब अपना काम करके घर चले जाना फिर मुझे कॉल करना।" इतना कहकर वह वहां से चली गई।
रोहन ने सबसे पहले अपना टिकट कैंसल करवाया और अगले दिन का टिकट लिया। फिर उसने उस अंकल को कॉल किया," कहां हो अंकल, मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा हूं"। तो दूसरी तरफ से आवाज़ आई कि बस 10 मिनट में वह वहां पहुंच रहा है।
कुछ समय के बाद एक अंकल जी अपनी कार के साथ वहां आया। रोहन ने पहले तो उसको नमस्ते किया।फिर उसकी गाड़ी में बैठ गया। अंकल जी," बेटा, कैसे हो? ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा ना"? रोहन ने कहा " अच्छा हूं, बस मैं भी कुछ देर पहले ही आया हूं।"
अंकल ने गाड़ी स्टार्ट की और गौरव टावर की तरफ बढ़ चला। " बेटा, मेरी बेटी ने इंजीनियरिंग से डिग्री की है, वह चाहती है कि उसे एक ऐसा लड़का मिल जाए जो उसके आगे की पढ़ाई में सहयोग करे, लड़का सीधा, शाकाहारी और ड्रिंक ना करने वाला हो। सभी ने आपके बारे में बताया तो मैं चाहता हूं कि आप उससे मिल लो ताकि बात आगे बढ़ाई जाए। मेरी बेटी बहुत संस्कारी है, वह पढ़ाई करना चाहती है लेकिन जॉब करने का उसका कोई इरादा नहीं है। वैसे भी हम लोग चाहते है कि घर की लक्ष्मी घर में ही रहे तो ज्यादा ठीक रहे।"
लेकिन रोहन तो अपनी दुनिया में ही खोया हुआ था। उसने सहसा ही बोला," अंकल जी, गाड़ी रोकना। कुछ जरूरी बात करनी है"। इतना कहते ही अंकल जी ने गाड़ी रोक दी।
उसके बाद रोहन और अंकल जी के बीच लगभग 30 मिनट बात चली।आखिर रोहन वहीं से पैदल चल दिया।और वो अंकल जी खड़े खड़े दूर तक देखते रहे गए जब तक रोहन उनकी आंखों से ओझल ना हो गया।
रोहन विचारों में मग्न बस चलता जा रहा था। उसके दिमाग में टपरी की यादें चल रही थी। वह अपनी इस यादगार मुलाकात को ज़हन में समेटे मंद मंद मुस्कराते हुए चला जा रहा था। वह बस यहीं सोचे जा रहा था कि जब रेहाना उसी की है तो वह क्यों किसी को देखने भी जाए। उसे बार बार रेहाना, वॉचमैन, सर, मैम और सबसे बढ़कर टपरी याद आ रहा था।अब तक जो आंखे खुशी से चमक रही थी अब वो टपरी की यादों में नम हो चुकी थी।