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बंद खिड़की भाग 11

बंद खिड़की भाग 11

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बंद खिड़की। भाग 11 

         बाद में अफजल की कानी उंगली की छाप गायत्री की गरदन की छाप से बखूबी मिल गई। अफजल ने थाने में अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि जब सुषमा गायत्री के घर गई थी और गायत्री उसपर बरस रही थी तब मैं खिड़की से उनका झगड़ा देख रहा था लेकिन उनकी नज़र मुझपर नहीं थी। जब गायत्री ने गुस्से में अपनी चूड़ियाँ उतार कर सुषमा के आगे फेंक दी और पैर पटकती भीतर चली गई और इसपर सुषमा रोती हुई लौट गई तो मैं दबे पांव खिड़की से भीतर कूद गया और चूड़ियां लेकर भागना ही चाहता था कि गायत्री ने आकर मुझे पकड़ लिया। वह मुझे पहचानती थी। उसने मेरी कलाई थामकर मामू के पास चलने को कहा और गालियाँ देने लगी।  
इतना कहकर अफजल सांस लेने रुका और थूक निगलता हुआ चुप हुआ। 
आगे बोल, तुकाराम ने कहा 
अगर गायत्री मामू से मेरी शिकायत कर देती तो मामू मुझे घर से निकाल देते क्यों कि वे पहले ही मुझे वार्निंग दे चुके थे कि मेरी किसी गलत हरकत पर वे मुझे वापस गाँव भेज देंगे। मैं आंटी के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा पर वो नहीं मानी तो मुझे गुस्सा आ गया मैंने उसे धक्का देकर गिरा दिया और गला पकड़ कर दबाने लगा। फिर वक्ती जूनून खत्म होने पर मैंने पाया कि वो मर चुकी थी तो मैंने उसका मंगलसूत्र भी उतार लिया और चूड़ियां लेकर खिड़की से कूद कर फरार हो गया।
"फरार तो तू हुआ था अफजल, लेकिन क़ानून के हाथों से बच नहीं सका ,तुकाराम दांत पीसता सा बोला।
दूसरे दिन तुकाराम और श्रीकांत चाय पीते हुए इस केस की चर्चा कर रहे थे। श्रीकांत ने बधाई दी तो तुकाराम बोला, सब तुम्हारी वजह से हुआ श्रीकांत! अगर तुमने खिड़की बंद होने का राज न खोला होता तो केस उलझा ही रहता। वह रहस्य सुलझने से आगे की राह आसान हो गई। 
लेकिन तुकाराम एक बात बताओ , जब अफजल खिड़की से कूदा और खिड़की बंद हो गई तब दिगंबर के जाने पर फिर कैसे बंद हुई? क्या एक ही इत्तेफाक दो बार हुआ?
नहीं! अफजल के जाने पर खिड़की की सिटकिनी बंद नहीं हुई थी। जब अफजल के खून करके भाग जाने पर दिगम्बर घर में आया तो उसने गायत्री को मरा हुआ पाया और उसके हाथ पाँव फूल गए। गायत्री द्वारा हाथ झटकने से सुषमा के हाथ की एक चूड़ी टूट गई थी जिसका  टुकड़ा उसे मिला और वह कूद कर इस नतीजे पर पहुंचा कि सुषमा ने ही गायत्री को मारा है और सुषमा को बचाने के लिए उसने उसकी हत्या को आत्महत्या देने की बेवकूफी की जिसके फलस्वरूप आज वह सीखचों के पीछे है। वह लोगों को दिखाने के लिए दरवाजे से निकला फिर घूमकर खिड़की से भीतर दाखिल हुआ और आत्महत्या की सेटिंग करके खिड़की से जब फरार हुआ तब खिड़की संयोगवश बंद हो गई। 
श्रीकांत ने सहमति में सिर हिलाया। 
बाद में वह सुनार भी गिरफ्तार हो गया जिसने अफजल से गायत्री के गहने खरीदे थे। उसकी गवाही पर और अफजल के इकबालिया जुर्म को देखते हुए उसे दस साल की सजा हुई। उसके उम्रकैद दिलाने की प्रॉसिक्यूशन की दलील उसकी कमउम्र और वक्ती जूनून के तहत हत्या कर दिए जाने के कारण कबूल नही हुई। दिगंबर को उसकी बेवकूफाना हरकत के लिए छह महीने की कैद हुई। सुषमा पर कोई अपराध नहीं सिद्ध हो रहा था वह दिगंबर के बच्चों की देखभाल करने के लिए बची रह गई।

                                            समाप्त। 

 


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