मातापिता बच्चों के दुश्मन नहीं
मातापिता बच्चों के दुश्मन नहीं
मई महीनेकी भरी दोपहरी में आराम से लिखान काम करने बैठी ही थी की, दरवाजा खटखटाने की आवाज आई, मैंने आवाज सुनकर दरवाजा खोला,देखा कि वहां हमारे पड़ोस की महिला खड़ी थी। मेंंने कंहा इस दोपहर में कैसी आई हो ? वह खूब बिलबिला कर रोने लगी थी। मैं समझ नहीं पाई, मैंने उसे आराम से बिठाया, मेरे मन मेंकई शंका कुशंका का आ रही थी, मैंने उसको ठंडा पानी पिलाया और कहा शांत हो जाओ और फिर बताओ क्या हुआ है, वह परिवार हमारे सामाने ही मंदिर में रहता था, वह बहुत गरीब थे, जब उनके बच्चे छोटे-छोटे थे, तब आकर मेरे ससुरजीसे उस मंदिर में रहने के लिए अनुमति मांगी थी। तब हमने रहने की अनुमति दे दी और साथ में मंदिर के साथ में छोटी सी जगह थी वहा दो रूम तैयार करने में सहायता भी की, क्योंकि मंदिर की देखभाल करने के लिए वहां कोई आवश्यक था। साफ सफाई करना एवं मंदिर का ध्यान रखने के लिए उचित आदमी की जरूरत थी। वह लोग बहुत सीधे-साधे ईमानदार लगे थे। वह लोग वहां रहने लगे थे। वह परिवार सुखी एवं खुश था। गरीबी के दिनों में भी वह ठीक से अपने परिवार की देखभाल करता था। बच्चे बड़े होने में देर नहीं लगी। देखते ही देखते ही सब बच्चे बड़े हो चुके थे। एक बिटिया की शादी भी हो चुकी थी। यह बेटी जो थी वह छोटी थी करिबन20/ 22 साल की रही होगी। दोनों बहनों ने मेरे प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लिए थे। एवं फिलहाल वह बैंक में एंजेंटशिप कर रही थी। सांवली सलोनी देखने में सर्वसाधारण ठीक-ठाक थी, लेकिन चेहरे पर चमक थी। एकाएक वहां कुछ दिनों से दिखाई नहीं दी थी।
मैंने कहा मुझे ठीक से बताओ क्या हुवा है। वह हिचकियां ले कर रो रही थी फिर उसने बताना शुरू किया और कहां की बेबी कही चली गई, मेरे मन में शंका कुंशंका आने लगी फिर वह कहने लगी बेबी भाग चुकी है। क्या कंंहा, वह इतनी भोली भाली मासूमसी दिखने वाली लड़की कैसे भाग गई। तो वह बताने लगी कि 8 दिन से लापता है तो मैंने उससे कहा 8 दिन से जब वह लापता है,तो पहले क्यों नहीं बताया। वह बोली बदनामी के डर से हम चुप रहे। और बताने लगी; उसके पिता तो बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे,और कहते हैं, मेरे लिए वहां मर चुकी है,बेबी का सारा सामान उन्होंने कचरा कुंडी में फेंक दिया और उसके सब स्कूल के सर्टिफिकेट भी जला दिए हैं। बहुत गुस्से में बैठे हैं, खाना पीनाभी छोड़ दिया है, और वह कहते है,कि मेरे लिए वह मर चुकी है, मेरे सामने उसका नाम मत लो,अब बताओ दीदी,मेरी कोख जाई है, वह मेरे दिल का टुकड़ा है, मेरी माया मेरा दुलार है, मैंने उसे बड़े प्यार से नाजो से पाला है।
आज तक आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है,अब बस यह भी काम कर दो मेरी बेटी घर वापीस आ जाना चाहिए,वहां किसी बड़ी मुश्किल में फंसने से पहले मेरे घर आ जाना चाहिए, उसकी बातें सुनकर मै पहले ही घबरा गई थी, फिर मैंने मेरे पति को फोन करके पूरी बात बताई, उन्होंने तुरंत पुलिस स्टेशन आने को कहा, रीतसर कंप्लेंट दर्ज करने के बाद उन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू की, क्योंकि मेरे पति कमांडिंग ऑफिसर थे। उनका दिन रात पुलिस स्टेशन में उठना बैठना था। इसीलिए तत्काल एक्शन ली गई। लड़का लड़की दोनों को भी पुलिस स्टेशन लेकर आए,आते ही इंस्पेक्टरने उस लड़के को एक करारा थप्पड़ मारा, तब वह लड़की तिलमिलाकर कहने लगी उनको क्यों मार रहे हो सब गलती सब गुनाह मेरा है। इंस्पेक्टरने बेबी से कहा,तुम से गलती हुई है ना गुनाह हुआ है ना,फिर तुमने ऐसा क्यो किया?बाली चुप बैठी रही,अपने माता पिता से यह बात क्यों छुपाई?तुम्हें पता भी है तुमने क्या किया ? अपने जन्म देने वाले मां बाप का भरोसा तोड़ा है,वह लड़का तुम्हारे साथ क्या क्या करने वाला था क्या तुम्हें पता है,तब भी बाली उस लड़के का पक्ष ले रही थी। इंस्पेक्टर ने उस लड़के के पत्नी को थाने में बुलाया।
उसके पत्नीको इंस्पेक्टर ने कहा कि तुम क्या इस नालायक पति को तलाक दे सकती हो,उसने कहा नहीं मैं तलाक कभी नहीं दे सकती वैसे भी मैं मेरे बच्चों को मजदूरी करके पाल रही हूं। आगे भी मुझे मजदूरी करके मेरे बच्चों को पालना पड़ा तो भी चलेगा, लेकिन मैं इस नालायक पति को तलाक नहीं दूंगी। इन्पेक्टरने एंकातमे बाली को समझाया,कहा कि क्या तुम्हें रखैल होना पसंद है,सारी जिंदगी क्या तुम रखेल बन कर जिओगी,तब बाली के दिमागमे बात समझमे आई,तभी वह सूखे पेड़ की तरह थरथराने लगी,एवं मन ही मन में कॉप गई, इन्पेक्टरने उसे अच्छी तरह और भी कुछ बातें समझाई,किसी मंदिर में हार डाल देने से क्या विवाह हो जाता है?अपनी टू व्हीलर बेचकर उस लडकेने रूम का किराया दिया था क्या वह तुमसे सच में प्यार करता है, अगर प्यार करता होता तो,सबको बता कर सब की परमिशन लेकर ही शादी करता,लेकिन उसने तुम्हें छुपाकर अलग-थलग रूम में रखा,इन सब बातों का क्या मतलब हो सकता है,वहां तुम्हारा पालन पोषण कैसे करता या फिर तुम्हारी कमाई पर खाता,हमने पूरी जानकारी निकाली है वह तुम्हें बेचना चाहता था। और आगे भी वह तुम्हारे साथ और भी बुरी तरह तुम्हें इस्तेमाल कर सकता है। अब बताओ तुम्हें क्या करना चाहिए ? क्या अब भी तुम उसके साथ रहना पसंद करोगी, ऐसे अनेकों उदाहरण देकर बाली के आंखों पर की पट्टी उतारी,एक क्षण में वह प्रेम का नशा उतर चुका था, तुमने यह अच्छा काम नहीं किया,अपने माता पिता को छोड़ कर पराए इंसान के साथ जाना पसंद किया । तुम्हारे माता पिता ने बड़े कष्टों से तुम्हें पाला पोसा और तुमने उनके साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया। क्या तुम अपने माता-पिता के साथ में जाना पसंद करोगी, बाली ने सीधे अपने मां के घर जाना पसंद किया,तुम्हारे वजह से तुम्हारे माता-पिता को कितने आंसू बहाना पड़ा। तुमने उन्हें कितने दुख में डाल दिया। क्या इसका तुम्हें पश्चाताप है। बाली आंसू भरे नैनो से देख रही थी,जैसे इंस्पेक्टर का तथा हम दोनों का शुक्रिया अदा कर रही हो,उसे घर लाया गया औरअच्छा सा लड़का देखकर उसकी शादी कर दी गई। वह 2 बच्चों की मां बन चुकी है सुखी परिवार मिला है। आज वह बहुत खुश है। हमारा बार-बार आकर धन्यवाद करती है। अगर वह वही मुश्किल राह पर चली जाती तो उसका क्या होता। कितने मोड़से गुजरती। यह बात सब युवा पीढ़ी को ध्यान में रखना चाहिए। कोई भी राह चुनने से पहले 10 बार विचार करना चाहिए,पहले घर के लोगों की अनुमति लेकर वह प्रेम विवाह करते हैं,तो शायद सफल भी हो सकता है,अन्यथा किसीके फंदे में फंसकर अपना जीवन नर्क में डाल देना उचित नही हैं। माता पिता को धोखा देना, याने की ईश्वर को धोखा देना होता है। वह अपने जिंदगी में कभी खुशी नहीं पाते। माता-पिता कभी बच्चों के दुश्मन तो नहीं होते, यह बात हर बच्चों को ध्यान में रखना चाहिए।