कड़ा फैसला
कड़ा फैसला
अरी चंपा, आगयी तू..कब से तेरी राह देख रही थी।
हाँ अम्मा, वो आज सफाई -बर्तन के लिए एक और घर पकड़ लिया इसीलिए देरी हो गयी, चंपा चारपाई पर बैठी अपनी सास से कहते हुए साथ में ही बैठी अपनी दस साल की बेटी जोकि पढ़ाई कर रही थी उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए पूछने लगी “रिंकी बेटी कैसी चल रही हैं कल की परीक्षा की तैयारी”।
“एक दम बढ़िया माँ, देखना माँ मैं बहुत अच्छी परीक्षा दूँगी ताकि पूरी कक्षा में पहले नम्बर पर आ सकूं”..कहते हुए रिंकी प्यार से अपनी माँ चंपा के गले लग गयी।रिंकी के चेहरे की मुस्कान देखकर चंपा मानों अपना सब दर्द भूल जाती थी..अब उसके जीने का केवल एक सहारा रिंकी ही तो थी।
अच्छा ठीक है तुम पढ़ाई करो, मै रसोईघर में जाती हूं..कहते हुए जल्दी से चंपा खाना बनाने में लग गयी कि तभी बाहर बैठी चंपा की सास बोली..”सुन चंपा,वो जो मेरे रिश्ते में दूर के भाई है ना आज वो आये थे अपनी रिंकी का हाथ मांगने अपने पोते के..मैंने तो हाँ करदी,और कह दिया कि इतवार आ जाए लगन तय करने”।
मेरी रिंकी बिटिया की शादी होगी,नाच गाना होगा,नए नए कपड़े मिलेंगे, खूब गहने पहनकर श्रृंगार करके रिंकी बिटियां दुल्हन बनेगी..अपनी दादी की यह सारी बातें सुनकर रिंकी को गुस्सा आने लग गया था इसलिए वो उठकर सीधा अपनी माँ के पास चली गई।
“मना करदो अम्मा, अभी रिंकी की उम्र ही क्या है बस दस साल..यह कोई उम्र तो नही शादी की और वैसे भी मेरी रिंकी अभी जब तक पढ़ना चाहती है तब तक पढ़ेगी मैं उसे बिल्कुल नही रोकूँगी..पहले वो पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाए उसके बाद ही सोचूंगी उसकी शादी का”। चंपा की बातों से रोष व्यक्त होता हुआ देख अम्मा को गुस्सा आ गया और वो भिनभिनाती हुई तपाक से बोली।
“अरे और कितना पड़ेगी पांचवी क्लास तक पढ़ ली बहुत है, नही तो हमारे यहां तो इतना भी नही पढ़ाते..ज्यादा पढ़ कर कौन सा अफसर बन जाएगी और वैसे भी लड़की जात है ऊपर से बिन बाप की बच्ची..जल्दी से हाथ पीले करके अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ले तू..और तुझे क्या लगता हैं कोई ऐसे वैसे लड़के से ब्याह करुँगी मै अपनी रिंकी का..अच्छा लड़का है,अच्छा खानदान है खूब जमीन जायदाद है खुश रहेगी”।
बस कीजिए अम्मा..आक्रोश रूपी स्वर में अम्मा की हर कटाक्ष बात को आज गलत ठहराते हुए कभी कुछ ना कहती हुई चंपा के अंदर मानो एक बिजली सी कौंध गयी और वह बोली कि “मेरी किस्मत ने मेरे साथ जो किया वो मैं अपनी बेटी के साथ नही होने दूँगी अगर वो पढ़ना चाहती हैं तो जरूर पढ़ेगी ताकि बड़ी होकर अगर अफसर न भी बन पाई तो मुझे कोई गम नही कम से कम समय आने व जरूरत पड़ने पर अपने पैरों पर खड़ी होकर इज़्जत से कमा तो लेगी..मेरी तरह अनपढ़ होने के कारण लोगो की झूठन तो नही मांजने पड़ेगी...और किस खानदान की बात कर रही हैं आप, शायद आप भूल गयी कुछ ऐसे ही खानदान का वास्ता देकर आपने मेरे माता पिता को छोटी उम्र में ही नशे व गलत आदतों में घिरे अपने बेटे के साथ मेरा बाल विवाह करने के लिए फसाया था जिसका भुगतान मै आज तक करती आ रही हूं लेकिन जो गलत कदम मेरे माता पिता ने उठाया था मेरे लिए वो मैं रिंकी के लिए हरगिज़ नही उठाऊँगी इसीलिए बेहतर होगा कि आप कल खुद उन्हें मना कर देगी”।
आज चंपा की यह सारी बातें सुनकर अम्मा निःशब्द सी रह गयी शायद चंपा के साथ की उसके द्वारा की गई नाइंसाफी को समझने की कोशिश कर रही थी।