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Mahesh Dube

Thriller

1.0  

Mahesh Dube

Thriller

क़त्ल का राज़ भाग 9

क़त्ल का राज़ भाग 9

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क़त्ल का राज़ 

भाग 9

          रिमांड के दस दिन बीत जाने पर सम्यक बाबलानी को कोर्ट में पेश किया गया। सब इन्स्पेक्टर रामबचन वहां मौजूद था। सरकारी वकील प्रीतम अरोड़ा ने सारे सबूत पेश किए। फिर सब इन्स्पेक्टर रामबचन की गवाही हुई जिसने सबसे पहले मौका-ए-वारदात का मुआयना और पंचनामा किया था फिर कान्ता और सोनू सिंह की गवाही हुई जिन्होंने कबूला कि जिस रात मंगतानी की हत्या हुई उसी दिन सुबह सम्यक ने उसे मार डालने की धमकी देते हुए उसके साथ हाथापाई की थी। और सबसे बढ़कर मुजरिम का इकबालिया बयान!

"सारा केस दिन के उजाले की तरह साफ़ है, मीलॉर्ड प्रीतम अरोड़ा गरजकर बोला, मेरे ख़याल से मुजरिम को कड़ी से कड़ी सजा देने में अब कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए। 

जज गायतोंडे के चेहरे पर भी आश्वस्ति के भाव थे पर नियम कानून के अनुसार हर मुजरिम को बचाव का हक होता है और ज्योति शुक्ला अपना वकालतनामा कोर्ट में दाखिल कर चुकी थी तो जज की प्रश्नवाचक दृष्टि उसकी ओर उठी। 

ज्योति शुक्ला अपनी जगह पर खड़ी हुई और बोलना शुरू किया, मीलार्ड! एक नजर से देखने पर मुजरिम सम्यक बाबलानी खूनी लगता है। पुलिस ने हर तरह से सीलबंद केस प्रस्तुत किया है पर आप भी जानते हैं मीलॉर्ड कि हमारी पुलिस की कार्य पद्धति क्या है? ये लोग सबूत खोज कर कातिल नहीं तलाशते बल्कि कातिल छांटकर फिर उसके खिलाफ सबूत इकठ्ठा करते हैं या गढ़ भी लेते हैं। 

ऑब्जेक्शन मीलॉर्ड! सरकारी वकील गरजा, मेरी काबिल दोस्त हमारी कानून व्यवस्था पर तंज कस रही हैं जो बेबुनियाद है। 

जज ने सहमति में सर हिलाया और बोले, ज्योति तुम मुकदमे से सम्बंधित बात ही करो कानून और न्याय व्यवस्था पर अपनी एक्सपर्ट राय मत दो। 

आई एम् सॉरी मीलॉर्ड! मैं आइन्दा ध्यान रखूंगी, ज्योति ने स्वीकार किया फिर आगे बोली, मैं ये कह रही थी कि अभियोजन पक्ष ने सम्यक का इकबालिया बयान मिलते ही कई महत्वपूर्ण बातों को नजर अंदाज कर दिया है। मसलन सम्यक ने अपने बयान में एक लाख रूपये का ज़िक्र किया था जो मंगतानी ने उसे ऑफर किए थे। वो रूपये कहाँ गए? 

वो रूपये सम्यक साथ ले गया होगा प्रीतम अरोड़ा चिल्लाया

सम्यक ने अपने बयान में साफ़ कहा कि सर पर ऐश ट्रे पटकते ही वो भाग खड़ा हुआ और रूपये का कोई जिक्र नहीं किया तो साफ़ है कि रूपये उसने नहीं लिए हैं क्योंकि यह उचित नहीं लगता कि कोई व्यक्ति खुद से पुलिस स्टेशन में आकर हत्या का आरोप स्वीकार कर ले और एक लाख रुपयों की चोरी की बात छुपाए रखे। 

जज ने कटघरे में खड़े सम्यक से पूछा, क्या तुमने ऐश ट्रे पटकने के बाद रूपये लिए थे?

सम्यक ने ना में सर हिलाया तो जज भड़के, मुंह से उत्तर दो!

नहीं लिए सर! हड़बड़ा कर सम्यक बोला। 

यू मे प्रोसीड ज्योति, जज साहब अब ज्योति से मुखातिब थे। 

ज्योति ने आगे उत्साह पूर्वक बोलना शुरू किया, मीलॉर्ड! पैसों की बात छोड़ भी दें तो एक बहुत बड़ी बात अभियोजन पक्ष की नजर से चूक गई है जो इस केस को पलट कर रख देगी। 

जज ने आश्चर्य से पूछा, क्या बात है?

सरकारी वकील भी मुंह बाए सुनने की मुद्रा में था 

ज्योति बोली मीलॉर्ड! पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बता रही है कि ऐश ट्रे के एक ही जोरदार वार से मकतूल की खोपड़ी फट गई और उसका देहांत हो गया पर ध्यान से देखें तो रिपोर्ट में एक और गूमड़ का जिक्र है जो सर पर बना हुआ है। उस बारे में अभियोजन पक्ष क्यों खामोश है?

एक्सक्यूज़ मी मीलॉर्ड! प्रीतम बोला, क्या पता बचाव पक्ष की वकील क्या साबित करना चाहती हैं? उस नामालूम गूमड़ से इस हत्या का क्या लेना देना? हो सकता है सम्यक ने दो वार किए हों। आगे पीछे। 

मीलॉर्ड! उसी गूमड़ पर मेरे क्लाइंट की बेगुनाही टिकी है। ज्योति चिल्लाकर बोली।

कैसे बेगुनाही साबित करोगी? जज भी उत्सुक हो उठे। 

मीलॉर्ड। आप खुद सोचिये। जब एक ही वार में मकतूल की खोपड़ी फट गई और वो मर गया तो दूसरा कदरन हल्का वार क्यों किया गया? अगर मरने पर कन्फ्यूजन होता तो दूसरा वार और शक्तिशाली या कम से कम इसी वेग से किया जाता न कि हल्का फुल्का! 

ऑब्जेक्शन मीलॉर्ड। मेरी काबिल दोस्त अदालत को उलझा रही हैं। हो सकता है पहला वार हल्का किया हो और दूसरा जोर से मारा हो प्रीतम हड़बड़ाकर बोला। मीलॉर्ड यह तो और भी संभव नहीं लगता ज्योति मुस्कुराती हुई बोली, मुलजिम ने अपने बयान में कहा है कि वक्ती जूनून के वशीभूत होकर उसने जोरदार प्रहार किया और भाग खड़ा हुआ तो वो पहला हल्का प्रहार करके मंगतानी को सचेत होने और प्रतिवाद करने का मौका क्यों देगा भला? 

जज बोले, आप ये तो मानती हैं न कि सम्यक ने मंगतानी की खोपड़ी पर जोरदार प्रहार किया तो क्या संशय रह जाता है?

मीलॉर्ड! एक नजर मेरे क्लाइंट की अवस्था पर डालिए। इसने पिछले बारह दिन से शराब की एक बूँद नहीं पी है जबकि मेडिकल रिपोर्ट इसके अल्कोहलिक होने की पुष्टि कर चुकी हैं फिर भी ये कटघरे में ही झूमता सा महसूस हो रहा है। दूसरे इसकी कमजोर शारीरिक कद काठी पर भी गौर करते हुए सोचिए कि ये मंगतानी के ऑफिस में कहाँ से उठकर पहुंचा था? रौनक बार से! जहां ये तब तक पता नहीं कितनी व्हिस्की गटक चुका था। अपनी कमजोर शारीरिक हालत और शराब के जोरदार नशे की हालत में इसने कितना जोरदार वार किया होगा आप खुद सोच सकते हैं। 

आप कहना क्या चाहती हैं साफ़-साफ़ कहिए जज साहब बोले अब वे ज्योति के तर्कों से खासे प्रभावित लग रहे थे

 

कहानी अभी जारी है...

क्या गायतोड़े साहब ज्योति के तर्कों से मुतमइन हुए?

पढ़िए भाग  10


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