उसकी चीख
उसकी चीख
एक घर से कभी कभी चीख सुनाई देती थी अक्सर,
कौन चिल्लाता है ? रात को तो शांति छा जाती है |
उस घर में झांकने तक की कोशिश भी कोई नही कर सकता था, बहुत बडे सेठ का मकान था, काफी नौकर चाकर थे |
बाजार में नौकरों खरीदारी करते देखा तो पूछ ही लिया,
"तुम्हारे घर में कभी कभी चीख सुनाई देती है, ऐसा क्या है ?"
"हमें तो नही सुनाई देती, हम तो वही रहते है रात दिन |
तुम अपने काम से काम रखों विजय बाबू ! कही सेठ को पता लग गया कि तुम उसके घर की खोज खबर ले रहे थे तो जिन्दा गाड़ देगा |
"हमारे सेठ जी बडे ही गुस्सैल है, अभी तो पूछ लिया बच्चू, आगे ख्याल रखियों किसी ओर से न पूछ लियों !" - कहकर नौकर चलता बना |
बेचारा विजय सोचता ही रहा, उसने सोचा, हो सकता है यह उसका वहम ही हो खुद को तसल्ली दे, जल्दी से सामान ले निकल पडा अपनी राह ओर |
एक दिन विजय ने उस मकान के पीछे की खिडकी में एक औरत की परछाई को देखा, वो चिल्लातें हुए दिख रही थी। ओह ! गॉड ! यह माजरा क्या है ? उसने इस बारे में अपनी दोस्त रागिनी को बताया जो एक खोजी पत्रकार थी |
जब रागिनी ने विजय की सारी बात सुनी तो उसने कहा कि वह जरूर पता लगायेगी |
रागिनी ने सेल्सगर्ल बन उस घर में प्रवेश तो कर लिया, पर उसको संदिग्ध कही कुछ न मिला जो समान था, वह भी आसानी बेच दिया उसने लेकिन रागिनी अपनी बातें से मकान मालिक को प्रभावित कर दुबारा आने के लिए कही कुछ और नये समान के साथ जिसकी उसको अनुमति मिल गयी |
जब वह घर से बाहर गया तो विजय ने रागिनी को बता दिया। रागिनी झट से पंहुच गयी, घर में दाखिल हुई नौकर को उसने तबियत खराब होने बहाना बनाया कि वह कुछ देर वहां रूक जाये बाहर तेज धुप है। नौकर बोला, रूक जाओ | नौकर जब वहां से हटा तो रागिनी ने कमरों मे झांकना शुरू किया दबे पांव। एक जगह वह रूक गयी, एक कमरे में एक औरत कराह रही थी। वह झटपट वहां पहुंची। उसे देख वह चौकी। रागिनी ने पूछा कि उसे क्या तकलीफ है ? उसने बताने से इंकार कर दिया। जब रागिनी ने बताया वह सिर्फ उसके लिए ही आयी है, तो वह घबरी गयी, कहा, तुम चली जाओं !
रागिनी ने कहा, यदि वह नही बतायेगी तो वह नही जायेगी, चाहे कुछ भी अंजाम हो |
वो औरत गृहस्वामी की पत्नी थी जो बहुत सुंदर थी, उसका पति निर्दय था इतना की अपने घर जाने के बाद लोहे के अंतवस्त्र उसकों पहनाकर उस पर ताला लगाकर जाता था।
जबतक वह वापस न आये वह लघुशंका के लिए भी नही जा पाती थी, वह सिर्फ उसकी दया पर जी रही थी। कभी कभी उसकी चीख निकल जाती थी दर्द से | वह बहुत
कोशिश करती दर्द छिपाने की | देखने में सबकुछ समान्य लगता। उसने रागिनी को दिखाया, रागिनी की आँखों से आंसु निकल गये|
रागिनी ने अपने गुप्त कैमरें से सबकुछ रिकार्ड कर लिया और बिना कुछ कहे चुपचाप निकल गयी |
अगले दिन पुलिस की गिरफ्त में उस मकान का मालिक था, टी. वी चैनलों पर यही खबर चल रही थी |
रागिनी ने विजय को धन्यवाद दिया, जिसकी वजह से एक औरत को उसके पति के वहशीपन से छुटकारा मिल गया |
फिर कभी विजय को उस मकान से चीख न सुनाई दी |