कटी उंगलियां भाग 2
कटी उंगलियां भाग 2
कटी उंगलियाँ भाग 2
मोहित और रचना लगभग तीन महीने पहले बनारस से मुम्बई आये थे। यहाँ आकर उन्होंने उपनगर कांदिवली में एक किराए का घर लिया था, फिर एक डेढ़ महीने बाद उन्हे कंपनी का दो कमरों का क्वार्टर मिल गया था। मोहित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पद पर था और रचना गृहणी थी। दोनों की पांच महीने पहले बनारस में ही शादी हुई थी और इन्ही कटी उँगलियों की दहशत ने उन्हें बनारस छोड़ कर भागने पर मजबूर कर दिया था। शिक्षित और समझदार होने के नाते वे दोनों अभी बच्चों के लालन-पालन में स्वयं को सक्षम न मानते हुए इस प्रपंच से दूर ही रहना ठीक समझते थे। अब थोड़ा स्थायित्व मिल जाने पर वे परिवार बढ़ाने की बात सोच सकते थे पर अचानक कटी उँगलियों ने फिर उनकी शांत जिंदगी में भूकंप ला दिया था। लगभग पांच महीने पहले मोहित और रचना का विवाह हुआ था। यह पूरी तरह अरेंज्ड मैरिज थी। मोहित के पिता ने एक विवाह समारोह में रचना को देखा था और रिश्तेदारों के ज़रिये बात आगे बढाई। बाद में यह पता चलने पर कि रचना उनके दूर के रिश्ते में ही है, वे खुश हो गए। रचना के परिवार की हैसियत ऐसी कोई ख़ास नहीं थी कि वह रिटायर्ड जज जगदम्बा प्रसाद की बहू बन सकती पर सामने से रिश्ता आने पर रचना के माता पिता बेहद खुश हुए। अँधा क्या चाहे दो आँखें! वैसे भी जगदम्बा प्रसाद कोई लालची इंसान नहीं थे उन्हें भी अपने मोहित के लिए एक सुन्दर और सुशील बहू ही चाहिए थी। दो जोड़ों में बहू ले आये। रचना भी अपना टूटा- फूटा घर और माता-पिता को छोड़कर रोती बिलखती महलों की रानी बनने चली गई। लेकिन सुहागरात में ही इस नवयुगल के जीवन में जो आफत टूटी उसकी आगामी कड़ी मुम्बई के इस घर में भी आ पहुंची थी और मोहित किंकर्तव्यविमूढ़ सा उन यादों में खो गया जहां से इस नामुराद सिलसिले की शुरुआत हुई थी। बनारस की वो शाम मोहित के दिलो दिमाग में दस्तक देने लगी जब अनजाने में ही उसने और उसके परिवार ने साधु प्रचण्ड ज्वाल के कोप को न्यौता दे दिया था।
आखिर क्या था साधु प्रचण्ड ज्वाल का कोप?
कैसे हुआ मोहित पर वार
जानने के लिए पढ़िए कटी उंगलियाँ का अगला भाग