सच्ची श्रद्धा व अटूट विश्वास
सच्ची श्रद्धा व अटूट विश्वास
आंध्रप्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक गरीब परिवार रहता था। हीरालाल उस परिवार का मुखिया, नीलिमा उसकी पत्नी और राजू उनका एकमात्र पुत्र था। हीरालाल दुबई में एक फैक्ट्री में नौकरी करने के लिए चला गया।
एक दिन फैक्ट्री में काम करते हुए हीरालाल के साथ एक दुर्घटना हो गई और उसकी मृत्यु हो गई। नीलिमा को इसकी सूचना दी गई। पति की मृत्यु के बाद, अपने पुत्र का पालन-पोषण करने के लिए वह इस संसार में अकेली रह गई थी।
दो महीने बाद उसे पास के ही कस्बे में एक घर में साफ-सफाई का काम मिल गया। उसका वेतन इतना नहीं था कि वह अपने पुत्र की अच्छे से देखभाल कर पाती। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसने अपने मालिक के घर चोरी करना शुरू कर दिया। नीलिमा अपनी चुराई हुई चीजों को अपने पुत्र व पड़ोसियों को दिखा कर कहती थी कि ये चीजें उसके पति ने दुबई से उनके लिए भेजी हैं।
एक बार नीलिमा सब्जियाँ लेने बाजार गई। रास्ते में उसे याद आया कि अपना पर्स तो वह घर पर भूल आयी है। वह अपना पर्स लेने घर वापस आ गई। जैसे ही उसने घर के कमरे में प्रवेश किया तो उसने देखा कि राजू शीशे के सामने बैठा है और उसकी नई लिपस्टिक होठों पर लगाने ही वाला है।
राजू को इस तरह देखकर वह हैरान हो गई और चिल्ला कर बोली,''राजू , मेरी लिपस्टिक के साथ तुम क्या कर रहे हो? यह नई व बहुत कीमती लिपस्टिक है। इसे तुम्हारे पिता जी ने दुबई से भेजा है। तुम्हें इसे खोलने की क्या जल्दी थी?" राजू भी अपनी माँ को अचानक देख कर हैरान हो गया।
उसनें अपनी माँ से कहा,''मैं आपको बताना भूल गया था कि मैं कॉलेज के एक प्रोग्राम में द्रौपदी का किरदार निभा रहा हूँ। इसके अभ्यास के लिए कक्षाएँ आज शाम से शुरू हो रही हैं।"
उनके गाँव के समीप ही द्रौपदी माता मंदिर था। नीलिमा व उसके पति का उस मंदिर में अटूट विश्वास था। वह राजू के साथ हर महीने उस मंदिर में जाती थी।
जब राजू ने नीलिमा को बताया कि वह कॉलेज में एक नाटक में द्रौपदी का किरदार निभा रहा था तो नीलिमा का गुस्सा तुरंत ठंडा हो गया और वह शांत हो गई। वह एक कुर्सी पर बैठ गई और राजू को द्रौपदी माता मंदिर से जुड़ी वो रोचक कहानियाँ सुनाना शुरू कर दिया जो उसने लोगों से सुनी व किताबों में पढ़ी थीं।
उसनें राजू को बताया कि जब वह दस साल का था तो उसे चेचक हो गया था। उसे द्रौपदी माता मंदिर ले जाया गया और केवल द्रौपदी माता की कृपा से ही वह स्वस्थ हुआ था।
राजू नीलिमा की इन सभी बातों को बहुत ध्यान से सुन रहा था। अचानक से वह गुस्से से चिल्ला कर बोला,"अपने मालिक के घर में चोरी करने के कारण, जब तुम्हें पुलिस ने पकड़ा था तब अवश्य ही द्रौपदी माता ने तुम्हें छुड़वाया होगा।"
राजू के यह सब कहने पर नीलिमा हैरान हो गई कि राजू को इन सब बातों के बारे में कब और कैसे पता लगा? उसके बाद नीलिमा ने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया।
अपनी माँ को रोता हुआ देखकर राजू को बहुत बुरा लगा। उसने नीलिमा को एक गिलास पानी लाकर दिया। नीलिमा ने पानी पीया और शांत हो गई। अगले कुछ मिनटों तक कमरे में चुप्पी छा गई।
इतना कह कर राजू भावुक हो गया और कुछ समय के लिए चुप हो गया। उसके बाद उसने नीलिमा से कहा,"माँ, तुमने ये सब बातें मुझे क्यों नहीं बताई? क्यों तुमने मुझसे सभी बातों को छिपा कर रखा था?
राजू ने नीलिमा से कहा,"माँ, अब तक जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ। वादा करो कि भविष्य में तुम कभी भी चोरी नहीं करोगी।"
राजू ने नीलिमा से कहा,"माँ, मैं तुम्हें एक बात और बताना चाहता हूँ। कॉलेज में गलत संगत के कारण मुझे शराब व धूम्रपान की लत लग गई थी। मेरी इस नशे की लत के कारण मेरे होठों पर सफेद रंग के निशान पड़ गए थे। इन सफेद निशानों को छुपाने के लिए मैंने तुम्हारी लिपस्टिक लगाना शुरू कर दिया था ताकि किसी को इन निशानों के बारे में पता न चले। एक बार मैं कॉलेज के बाथरूम में लिपिस्टिक प्रयोग कर रहा था तो मनोज सर ने मुझे देख लिया था। उसके बाद जब मैंने उन्हें सारी बात बताई तो वह मुझे एक डॉक्टर के पास ले गए। उनके कहने पर डॉक्टर ने मेरा ईलाज किया और मुझे सफेद निशानों से मुक्ति मिल गई। मनोज सर को जब पता चला कि मेरी अभिनय में रुचि है तो उन्होंने मेरी अभिनय की कला को निखारने के लिए फ्री ट्रैनिंग भी दी थी। अगले सप्ताह हमारे कॉलेज में एक चैरिटी शो है। मैं इस चैरिटी शो में अर्जुन बन कर अभिनय करना चाहता था, परन्तु मनोज सर ने कहा कि इस बार शो में लड़कियाँ पुरुष किरदारों व लड़के महिला किरदारों के लिए अभिनय करेंगे। मेरा भी द्रौपदी माता में अटूट विश्वास है इस लिए मैंने सोचा कि मैं इस शो में द्रौपदी के किरदार के लिए अभिनय करुँगा।''
मेरा मनोज सर से मिलना, उनका मेरी बुराइयों को दूर करने में मेरी सहायता करना और जीवन में सही मार्गदर्शन करना, आपके द्रौपदी माता में सच्ची श्रद्धा व अटूट विश्वास का फल है।"
नीलिमा ने राजू से कहा,"राजू , मैं तुमसे वादा करती हूँ कि भविष्य में कभी कोई बुरा कार्य नहीं करुँगी। मेरे प्यारे राजू , आज तुमनें मुझे अहसास दिलवाया है कि मैं बहुत गलत कर रही थी। मुझे तुम पर गर्व है, मेरे बेटे। द्रौपदी माता ने ही तुम्हारे द्वारा मुझे गलत कार्य करने से रोका है। आज हम दोनों द्रौपदी माता मंदिर में जाएंगे और माता से मैं अपने पापों के लिए माफी माँगूगी। मैं तुम्हारे अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिए भी द्रौपदी माता से प्रार्थना करुँगी।"