राखी का उपहार
राखी का उपहार
पुरानी तस्वीरों में मुझे मेरी एक पारिवारिक तस्वीर दिखाई दी। उस तस्वीर में मेरा पूरा परिवार था। मम्मी, पापा, मेरी दोनों बहनें, मेरा छोटा भाई और मैं। मेरे और मेरे भाई की कलाई पर राखी बंधी थी। तस्वीर देखते ही मेरी आँखों के सामने वह पल सजीव हो उठा।
मेरी उम्र उस समय दस साल की थी। वह राक्षाबंधन का त्यौहार था। मैं और मेरा छोटा भाई बहुत खुश थे। दोनों बड़ी बहनों ने हमें सुंदर सुंदर राखियां बांधी थी।
हम लोग खाना खाने की तैयारी कर रहे थे कि तभी हमारे मामा जी मम्मी से राखी बंधवाने आ गए। मामा जी को देख कर हम और अधिक खुश थे। कुछ दिनों पहले ही मामा जी अपनी कंपनी के काम से दुबई गए थे। उन्होंने बताया था कि वो मम्मी के लिए एक उपहार लाए है। हम वह उपहार देखने को उत्सुक थे।
मम्मी ने राखी बांधने से पहले मामा के लिए चाय बनाई। चाय पीते हुए मामा जी अपनी दुबई यात्रा के बारे में बता रहे थे। पर मेरे और मेरे छोटे भाई का मन वह सब सुनने में नहीं लग रहा था। हम आपस में बात करके अपना अपना अंदाज़ लगा रहे थे कि मामा जी मम्मी के लिए राखी का कौन सा उपहार लाए होंगे।
चाय समाप्त होने पर मम्मी ने बड़ी दीदी को राखी की थाली लाने को कहा। हम भी उत्सुकता से उस पल की राह देखने लगे जब राखी बंधने के बाद मामा जी मम्मी के पैर छूकर उन्हें उपहार देंगे।
मम्मी ने मामा जी को तिलक लगाया। एक रेशमी धागा उनकी कलाई पर बांधा। उसके बाद बर्फी का टुकड़ा मामा जी के मुंह में डाल दिया। मामा जी ने मम्मी के पैर छुए। हम सांस रोक कर उपहार मिलने की राह देखने लगे।
लेकिन हमारे उत्साह पर पानी पड़ गया। अचानक गुप्ता अंकल जो पापा और मामा दोनों के दोस्त थे आ गए। तीनों लोग बातें करने लगे। उसी समय मम्मी ने खाना भी लगा दिया। बातें करते और खाना खाते एक घंटा बीत गया।
हालांकि आज मेरी पसंद की उरद की दाल की कचौड़ियां बनी थी पर मेरा मन खाने में नहीं लग रहा था। मैं और मेरा छोटा भाई गुप्ता अंकल के जाने की राह देख रहे थे।
गुप्ता अंकल के जाने के बाद हम फिर उत्साहित हो गए। मामा जी ने मुझसे कहा कि जाकर कार में रखा बैग उठा लाओ। मैं तुरंत भाग कर कार की पिछली सीट पर रखा बैग उठा लाया। मामा जी ने बैग से एक कैमरा निकाल कर देते हुए कहा,
"दीदी ये कैमरा आपके लिए है।"
कैमरा देख कर हम सबके चेहरे खिल उठे। मम्मी बहुत खुश हुई। मामा जी ने कहा, "सब लोग तैयार हो जाओ। मैं आप लोगों की एक पारिवारिक तस्वीर खीचूँगा।"
मम्मी और दोनों बहनों ने अपने बाल ठीक किए। पापा पैजामा कुर्ता बदल कर पैंट शर्ट पहन आए। हम दोनों भाइयों ने भी अपने मुंह धोकर बाल ठीक कर लिए।
हम सब लोग बाहर अपने घर के छोटे से बगीचे में आ गए। पीछे की तरफ मम्मी-पापा खड़े हुए। दोनों बहनें, मैं और मेरा छोटा भाई आगे खड़े हो गए। मामा जी ने कैमरे का फोकस सेट करते हुए कहा,
"स्माइल प्लीज़...."
उसके बाद बटन दबा दिया। हमारी तस्वीर कैमरे में कैद हो गई। तब डिजिटल कैमरे नहीं थे। तस्वीर कैसी आई है उसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। जब रील खत्म हो जाती थी तो उसे डेवलप करने के लिए भेजा जाता था।
हमने भी प्रतीक्षा की। जब रील डेवलप होकर आई तो पूरे परिवार की एक साथ ली गई तस्वीर सबसे सुंदर थी।