एक प्रेमकहानी अधूरी सी...
एक प्रेमकहानी अधूरी सी...
प्यार एक ऐसा शब्द जिसके सुनने मात्र से मन प्रफुल्लित हो उठता है। प्यार कभी भी किसी को भी और किसी से भी हो सकता हैं। प्यार करने का कोई मापदंड या पैमाना नहीं होता है। प्यार तो किसी भी हद तक जा सकता है। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी की प्यार परमात्मा का ही एक और नाम है। एक ऐसा ही प्यार मुझे भी हुआ था। और जब हुआ था तब कुछ ऐसा हुआ था कि मैं अपने आप को भी भूल गया था। प्यार होता ही ऐसा है। सच में....
दिसंबर माह के सर्दियों के से दिन थे। दिन छोटे और रातें लम्बी हुआ करती थी। और दिनों की तरह उस दिन भी मैं सुबह ९.३० पर कॉलेज के लिए घर से निकला ही था कि मैंने महसूस किया कि जिस रास्ते से मैं गुजर रहा हूँ उसी रास्ते पर मेरे पीछे भी कोई चल रहा है| मैंने तिरछी नज़रों से पीछे देखा तो एक लड़की आ रही थी। मेरी नज़रों से शायद उसे जन्नत कि हूर भी कहा जाये तो गलत नहीं होगा| शायद मैंने उसे हमारे मोहल्ले में पहले कभी नहीं देखा था। मैं अपनी पहले वाली गति से चलता रहा और बस स्टैंड पर पहुंच कर खड़ा हो गया और अब मैं बस से ज्यादा उस लड़की के आने का इंतज़ार कर रहा था| कुछ देर के बाद सामने से वो लड़की और साइड से मेरी बस दोनों आ रही थी। मैंने उस लड़की और बस में से बस को मिस करने का फैसला किया।
बस जा चुकी थी और वो लड़की रोड क्रॉस करके मुझसे कुछ दुरी पर खड़ी़ हो गयी और अगली बस का इंतज़ार करने लग। मैं उसके बारे में जानना चाहता था लेकिन हिम्मत ही कर पा रहा था।लेकिन थोड़ी हिम्मत जुटा कर मैंने उससे पूछ लिया कि क्या आप कॉमर्स कॉलेज जा रही है? 'नहीं, मैं तो सिटी सेंटर जा रही हूँ|' उसने तपाक से कहा।
'तो क्या आप वहाँ जॉब करती है?' मैंने पूछा।
उसने कहा 'हाँ, लेकिन आप यह सब क्यों पूछ रहे हो?'
'हम यहाँ करीब ५ साल से रह रहे है लेकिन मैंने पहले आपको कभी देखा नहीं इसलिए' मैंने सफाई देते हुए कहा।
'हम यहाँ परसो ही आये है और गुप्ता जी के माकन में किराये से रहते है|' उसने कहा।
और तभी अगली बस आ चुकी थी। हम सभी उसमे सवार होने कि जदोजहद में लग गए। बस में भीड़ इतनी थी कि वो लड़की मुझे नजर ही नहीं आ रही थी, पर पता नहीं क्यों मेरा मन उसी पर अटका हुआ था ।मुझे वो इतनी अच्छी लग रही थी कि वो मेरे दिल से निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं बस में आगे कि तरफ निकल गया और मुझे सीट मिल गयी लेकिन वो लड़की मुझे दिखाई नहीं दे रही थी, शायद उसे पीछे कि तरफ ही जगह मिल गयी थी।
मैं उसे मन ही मन प्यार करने लगा था। लगभग आधा घंटा बीत चुका था और मैं अभी तक उसके ख्यालो में ही गम था,तभी बस ने एक ब्रेक लगाया| मैंने देखा सिटी सेंटर आ चुका था।मेरी नज़ारे तुरंत एग्जिट गेट पर गयी तो वो लड़की उतरने के लिए खड़ी थी और मेरी तरफ देखकर बाय कर रही थी| मैंने भी ख़ुशी से अपना हाथ हिला दिया। वो बस से उतरने लगी तभी किस्मत ने वो कहर ढाया जिसने मेरी रूह कंपा दी।
बस से उतरते वक्त पीछे से आ रही पिकअप ने उसे टक्कर मार दी थी| मैं तुरंत उसे अस्पताल लेकर गया। डॉक्टर्स ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उसे तुरंत ICU में ले लिया मैं वहाँ से अपने घर आया और अपने माता-पिता को सारी बात बता दी।
फिर हम तीनो गुप्ता जी के घर गए और उस लड़की के परिजनों को यह समाचार बताया। हम सभी वापस अस्पताल पहुंचे डॉक्टर्स ने बताया कि "पिकअप ने उस लड़की के पैरो पर गाड़ी चढ़ा दी थी जिससे उसके पैर क्षतिग्रस्त हो गए है।और पुरे शरीर में जहर न फैले इसलिए हमें इसके दोनों पैर काटने पड़ेंगे| और हमें तुरंत ऑपरेशन करना होगा|"
यह सब सुनकर हम सबके पैरो तले जमीं खिसक गयी।
ऑपरेशन थिएटर कि लाल बत्ती चालू हो गयी थी।
मैं मन ही मन भगवान को कोस रहा था कि उसने ऐसा क्यों किया? लेकिन मैंने भगवान को यह भी कह दिया था कि मैं उससे प्यार करता हूँ और करता रहूँगा।
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने कहा कि अब वो खतरे से बाहर है। और आप लोग उससे मिल सकते हो।हम सभी अंदर गए ।
उसके माता-पिता उससे लिपट कर रोने लगे। मेरे माता-पिता ने उन्हें दिलासा दिया और वापस बाहर आ गए| लेकिन मैं वही रहा और उसके पास बैठ गया।
'सब ठीक तो जायेगा, तुम चिंता मत करो|' मैंने उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा।उसकी आँखों से आंसू बह निकले थे|
मुझे पहली नजर में ही तुमसे प्यार हो गया था| लेकिन सुबह अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया था|
'मैं तुमसे प्यार करता हूँ। I Love यू' मैंने उसके आंसू पोछते हुए कहा।
'नहीं अब मैं किसी के प्यार के लायक नहीं रही। मेरे दोनों पैर कट चुके हैं। मैं अपाहिज हूँ अपाहिज|' उसने रोते हुए कहा।
'नहीं पर में सिर्फ तुम्हे चाहता हूँ| मेरा प्यार तुम्हारी ताकत बनेगा मुझ पर विश्वास करो|' मैंने कहा|
तभी वो बेहोश होने लगी| नर्स और डॉक्टर्स वहाँ आये और मुझे बाहर निकल दिया।हम सब रात भर वही रहे| सुबह रोने कि आवाजे सुनाई दी| मैंने जाकर देखा तो उस लड़की के माता-पिता रो रहे थे।मैंने उनसे कहा कि सब ठीक हो जायेगा आप रोइये मत ।
'अब कुछ ठीक नहीं हो सकता है।हमारी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही।वो भगवान को प्यारी हो गयी है।' ऐसा कहकर उसकी माँ रोने लगी।
मेरे तो आँखों के सामने अँधेरा छा गया। मेरा प्यार मुझे अकेला छोड़ कर जा चुका था। मेरी प्रेम कहानी अधूरी रह गयीथी।
अधूरी रह गयी थी.....