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मोह मोह के धागे (भाग १ )

मोह मोह के धागे (भाग १ )

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"राजीवजी, न जाने आप में क्या बात है. कोई इंसान इतना समझदार और सुलझा हुआ कैसे हो सकता है. दिन पर दिन में आपकी तरफ खींची चली जा रही हूँ , शायद इसी एहसास को प्यार कहते है!!!" नैना ने वो खत अपने हाथ में उठाया और आईने के सामने खड़ी हो गयी. उसे आज, अपने आपको आईने में देखकर बहुत शर्म आ रही थी. शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे. आज इतने महीनो बाद, उसने अपने दिल की बात राजीव को कहने की ठान ली थी. वो सजने सवरने लगी. राजीव किसी भी वक़्त घर आने ही वाले थे. इतने में घर की घंटी बजी और वो दौड़ते हुए निचे गयी.अपने आप को ठीक करने लगी. उसकी दिल की धड़कन तेज़ हो चुकी थी. उसने हसते हुए दरवाज़ा खोला, पर अपने सामने किसी औरत को देखकर वह निराश हो गयी. "राजीव घर पर है? " उस औरत ने नैना से पूछा." "राजीवजी अभी आते ही होंगे,आप कौन?" नैना ने उस औरत से पूछा." "मैं, अपर्णा. राजीव की बीवी." ये सुनकर नैना के जैसे होश ही उड़ गए. उसका सपना एक ही पल मैं चकना चूर हो गया था. उसने अपने आँसू रोखकर अपर्णा को अंदर बुलाया. "वैसे, तुम कौन हो? " अपर्णा ने नैना से पूछा." "मैं... मैं इस घर मैं किरायदार हूँ . आज यहाँ मेरा आखरी दिन है. मैं राजीवजी का ही इंतज़ार कर रही थी." इतना कहकर नैना सीधे अपने कमरे मैं चली गई।

नैना ने अपने आप को कमरे मैं बंद कर लिया और जोर जोर से रोने लगी. उसने अपना सामान बांधना शुरू कर दिया. उसने फैसला कर लिया था, की आज और अभी वो ये घर छोड़कर चली जाएगी. अपने दिल मैं राजीव के लिए छुपा हुआ प्यार, वो कभी सामने आने नहीं देगी. उसने अपना सामान उठाया और अनजाने मैं, वो चिट्ठी वही भूलकर चली गयी. जाते जाते अपने दिल पर पत्थर रखते हुए वो अपर्णा से बोली, " राजीवजी आए, तो उन्हें ये पैसे दे देना. उनसे कहना, आजतक उन्होंने मेरे लिए जो भी किया मैं उनकी शुक्रगुजार हूँ .आज जो भी मैं हूँ , उन्हीके वजह से हूँ." इतना कहकर नैना वहा से चली गयी. आँखों मैं आँसू और दिल मैं दर्द लिए हुए.

राजीव हर रोज की तरह घर पंहुचा. घर का दरवाज़ा खुला देखकर उसे आश्चर्य हुआ. वह अंदर आया और उसने पूछा ," जी आप कौन?" अपर्णा ने पीछे मुड़कर राजीवकी और देखा. राजीवके हाथोसे सामान नीचे गिर गया. "अपर्णा तुम? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस घर मे वापस आने की", राजीव ने बड़ी सख्त आवाज़ मे अपर्णा से पूछा. "तुम बिलकुल भी नहीं बदले राजीव.आज भी वही अहंकार है तुममें." "अहंकार !! मुझमे या तुममें है अपर्णा. तुम मुझे छोड़कर चली गयी,और आज इतने सालो बाद फिर लौटकर क्यों आयी हो? और, एक मिनिट...नैना कहा है ? नैना... नैना... " राजीव बेचैन हो चूका था. "वो तो चली गयी. और हा... जाते जाते ये कुछ पैसे देकर गयी है.और कुछ बोल भी रही थी की तुमने उसकी मदत की और उसे काबिल बनाया ऐसा कुछ." उन पैसो को देखकर राजीव की आँखें भर आयी और वो गुस्से मे वहा से निकल पड़ा, नैना की खोज में।

तो आप सब को क्या लगता है? क्या राजीव और नैना वापस एक हो पाएंगे? या फिर नियति ने उन दोनों के लिए कुछ और ही सोचा है….

क्रमश:


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