आँसुओं की शहादत
आँसुओं की शहादत
आँसुओं को भी बस निकलने का बहाना चाहिए। जरा सी ठेस लगने पर ही मचल उठते हैं आँखों से बेवफाई करने के लिए।मगर आज निकल नहीं पा रहे...क्योंकि यह आँख कमजोर नहीं है और दिल ...दिल तो जैसे फौलादी। आँखों की छोड़िये दिल भी हार गया रो रोकर ...मगर यह क्या इसने तो अपने मनोयोग और दृढ़ निश्चय से इन आँसुओं का रास्ता ही रोक लिया है।
यह कोई आम जन की आँख नहीं एक फौलादी और चट्टानी विश्वास वाली और अपने सपूत को हँसी हँसी देश की रक्षा में भेजने वाली एक वीरांगना माँ की आँख थी जो कमजोर नहीं हो सकती।
आज ही तो खबर आई की बेटा दुश्मनों से लड़ते लड़ते देश के लिए कुर्बान हो गया, शहीद हो गया। माँ थी सुनकर सन्न रह गयी। कलेजा फटने को आतुर हो गया मगर ...मगर यह क्या आँखों को आँसुओं से दूर रहने की सख्त हिदायत दे दी उस हिम्मती माँ ने एक सैनिक की माँ ने।
किसी ने शून्य में ताकती उस शहीद की माँ से कहा .......
....''रो ले काकी दिल का गुबार निकल जायेगा !"
मुस्कराते हुए बोली ..."बेटे ने जान कुर्बान कर दी और मैं इन मुए आँसुओं की शहादत भी नहीं दे सकती। अरे माँ हूँ मैं वीर सैनिक की ,उसकी वीरता का इन आँसुओं से भिगोकर अपमान नहीं कर सकती ?"
हर दिल चीत्कार कर उठा लेकिन माँ का ह्रदय अपने पथ से न डिगा। आँसू उमड़कर सूख गये। सलाम करने को हर सिर झुक गया।
माँ का ह्रदय कह उठा ......
"जिस दिन मेरा वतन चैन और अमन में तब्दील हो जायेगा।
उस दिन मेरे लाल तेरी शहादत का कर्ज उतर जायेगा।"