परीक्षा
परीक्षा
मधुरा की जब भी परीक्षा आती, वह बीमार पड़ जाती। उसको परीक्षा का भूत इतना भयानक लगता की पूरा शरीर आग उबालता। उसके माता-पिता बहुत परेशान थे क्योंकि बुखार के रहते हैं मधुरा कभी पूरी परीक्षा नहीं दे पाती थी, इसी कारण उसके नंबर भी अच्छे नहीं आते थे।
वैसे मधुरा पढ़ने में अच्छी थी, मगर ना जाने उसको परीक्षा में क्या हो जाता।अपनी तबीयत खराब करके बैठ जाती।
एक दिन उसके स्कूल में एक वर्कशॉप हुई, जिसमें एक दूसरे स्कूल से आए अध्यापक जी बच्चों को परीक्षा के दिनों में तनाव मुक्त रहने के उपाय समझा रहे थे। साथ ही वह यह भी समझा रहे थे, यदि हम पूरे साल मन लगाकर पढ़ाई करें तो परीक्षा के समय हमें तनाव न होगा जितना हम अपने आप कर लेते हैं।
हमारे पूरे साल की मस्ती मौज मस्ती हमें परीक्षा के दिनों में तनाव में ला देती है, जिससे हम अक्सर परीक्षा के दिनों में बीमार पड़ जाते हैं।
मधुरा को तो ऐसा लगता जैसे अध्यापक जी उसी के जीवन के बारे में बता रहे हैं। घर आते आते वह पूरे रास्ते यही सोचती रही कि वह यदि पूरे साल मेहनत करें, मन लगाकर पढ़ाई करें तो वह परीक्षा में ना तो बीमार पड़े और ना ही उसके कम नंबर आए।
उसमें अबकी बार मन में ठान लिया था कि वह सब विषयों को पहले से पहले ही तैयार कर लेगी।
घर जाते ही उसने सबसे पहले कपड़े बदले, खाना खाया और खाना खाने के बाद पढ़ने बैठ गई।
मां ने जब मधुरा में यह बदलाव देखा तो कारण पूछा" मधुरा रोज तो तू आते ही धमाचौकड़ी मचाती है, नीचे खेलने भाग जाती है, खाना भी नहीं खाती, आज क्या हुआ"?
मधुरा ने बोला" मां मैं बहुत बड़ी गलती कर रही थी जो मैं पूरे साल नहीं पढती मगर अब मैं पूरे साल पढूंगी और आपको अच्छे नंबर भी लाकर दिखाऊंगी।
उसने मेहनत करनी शुरू कर दी।जल्द ही परीक्षा का दिन भी करीब आ गया। वह आराम से पढ़ कर सो गई। रात में जब वह सो रही थी तो उसने सपना देखा कि घर में लाइट नहीं आ रही थी और जिससे वह पूरे दिन पढ़ नहीं पाई और रात को भी वैसे ही रहा तो मोमबत्ती में कैसे पड़ती? फिर सो गई और अलार्म लगाना भी भूल गई जब उठी तो 9:00 बजे रहे थे।आनन-फानन में स्कूल भागी। वहां दरवाजे पर ही स्कूल के गार्ड ने रोक लिया "अरे स्कूल 9:00 बजे लगता है क्या ?अब तो परीक्षा भी खत्म होने जा रही है।तुम अब आ कर क्या करोगी? उसने बड़ी विनती की
" नहीं भैया मुझे अंदर जाने दीजिए, मेरी परीक्षा है"। प्लीज प्लीज करके वह जैसे तैसे अंदर घुसी। मगर कक्षा में प्रवेश करते ही उसकी कक्षा अध्यापिका ने उसको अंदर ना आने दिया और कहा" वही रहो आज तुम स्कूल समय पर आना भूल गई। क्या तुम्हें स्कूल का समय भी याद नहीं रहा ? अब तुम्हें परीक्षा में बैठाया नहीं जाएगा और तुम फेल हो।
फेल का नाम सुनते ही मधुरा बिस्तर से कूद पड़ी। अरे यह कैसा सपना था मैंने तो बहुत अच्छे से तैयारी की थी। उसने देखा उसका अलार्म भी बज रहा था और अभी सुबह के 6:00 ही बजे थे। उसने भगवान को धन्यवाद दिया और धन्यवाद दिया उन अध्यापक जी को जिन्होंने उसे सच्ची मेहनत करना सिखाया।
आज ना तो उसे बुखार है और ना ही उसे परीक्षा का कोई तनाव, वह आराम से तैयार होकर मम्मी पापा का आशीर्वाद लेकर स्कूल गई।
जब परीक्षा का परिणाम आया तो मधुरा कक्षा में प्रथम स्थान पर थी। पापा मम्मी ने उसको बहुत शाबाशी दी और उसकी कक्षा अध्यापिका ने उसकी पूरी कक्षा में तारीफ की। तब मधुरा ने अपने अंदर आए परिवर्तन के बारे में उन्हें बताया कि हमें समय रहते ही तैयारी करनी चाहिए।