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Tushar Rastogi

Tragedy

2.5  

Tushar Rastogi

Tragedy

एक अधूरी प्रेम कहानी

एक अधूरी प्रेम कहानी

2 mins
15K


 

उस रात बारिश में भीगती उस लड़की कोदेखा। देखने पर तो लगता था वो मुस्कुरा रही है पर सच यही था की वो दर्द था जो उसकी खूबसूरत आँखों से रिसता हुआ उसके गालों को और सुर्ख कर रहा था और फिर बारिश में पानी के साथ गुफ़्तगू करता हुआ अपनी राह को निकल जाता था।वहीं करीब में एक लड़का एकदम खामोश, गुमसुम, खोया हुआ अकेला बैठा अपनेअकेलेपन के साथ जद्दोजहद करता हुआ अपने पर रोता नज़र आ रहा था। उन दोनों की पहली मुलाक़ात एक सूनसान सड़क पर हुई थी। यकायक आँखें चार होते ही उनके दिल एक दूजे के लिए धड़कने लगे थे और उन्हें पहली नज़र वाला इश्क़ हो गया था। वो दोनों आपस में आत्मा से जुड़ाव महसूस करने लग गए थे और यह सब इतनी तेज़ी के साथ हुआ जिसकी ना तो उन दोनों को कभी कोई उम्मीद ही थी और ना ही ऐसे किसी हसीं हादसे की उन्होंने कल्पना ही की थी। इसमें बुरा तो कुछ भी नहीं था, क्योंकि अब तो शायद सब कुछ अच्छा ही होना था। उन दोनों को जो भी कुछ चाहिये था वो उन्हें मिल गया था और जो उनके पास नहीं था वो भी आज उनके पास था। उनकी जिंदगियां इश्क़ के अमृत में सराबोर, मीठे गीत गुनगुनाती, बेहदउल्लासित और प्रकाशमय नज़र आ रहीं थी और इस सबके सामने उनकी दिक्कतें, परेशानियाँ और ज़िन्दगी के दीगर मसले बहुत ही छोटे पड़ते नज़र आते थे।

 

परन्तु यह सब शायद बस कुछ लम्हों तक सीमित था क्योंकि हर वक़्त चाँद सितारों पर होने की कल्पना करना तो बेवकूफ़ी करने जैसा ही होता है और वास्तविकता से परे जीवन जीने का मतलब एक हवा होते सपने में जीने और उम्मीद लगाने से ज्यादा कुछ भी नहीं होता है। जब जीवन में प्यार जैसा सुखद अनुभव मिलता है तब उससे ज्यादा उत्कृष्ट और कुछ नहीं होता, इस से बेहतरीन जीवन में कुछ और मिल ही नहीं सकता पर इस बात को सभी जानते और मानते हैं जिसे शर्तिया कह सकते हैं कि ज़िन्दगी में अच्छाई का पीछा बुराई कभी नहीं छोड़ती। आख़िर तक दुम पकड़े उसे खाई में धकेलने की कोशिश में लगी ही रहती है और फिर आख़िरकार वही हुआ जिसका डर था सब कुछ सही और अच्छा था पर दर्द ने पीछा किया और बिना किसी शक-ओ-शुबा के कहें तो दोनों के दिलों को ख़ाली कर दिया। उन्होंने सोचा था कि उनका इश्क़ और वो परिंदे की तरह आज़ाद हैं पर शायद दुनिया में सही, सम्पूर्ण, दोषहीन, निष्कलंक प्यार जैसा कुछ होता ही नहीं है। ख़ामियों के साथ इश्क़ करना ही परिपूर्ण प्रेम है।

 

--- तुषार राज रस्तोगी ---

 


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