साँवली सी लड़की
साँवली सी लड़की
कटारिया जी के रिटायरमेंट के कुछ ही महीने रह गए थे ।
बेटा और बेटी दोनों की शादी कर चुके थे ।अब जैसे तैसे कुछ महीने नौकरी के थे जो पूरे करने थे ।
रोज दफ्तर के लिए उन्हें बस पकड़नी होती थी उसके लिए उन्हें चार नंबर बस स्टॉप पर जाना होता था।
लगभग 8:00 बजे बस स्टॉप परपहुँच जाते थे ।
दिनचर्या ऐसी ही चल रही थी ।
एक दिन उन्होंने देखा बस स्टॉप पर एक साँवली सी लड़की ने उन्हें अंकल नमस्ते कहकर संबोधित किया और पूछा "यह बस क्या रूट नंबर दस तक जाती है"?
कटारिया जी ने का हां बेटा ।
वह रोज उन्हें मिलने लगी।
कटारिया जी जब भी बस स्टॉप पहुंचते उसके 5 मिनट बाद ही वह लड़की आ जाती ।दोनों में एक हंसी का आदान-प्रदान होता और वह लड़की सर झुका कर अभिवादन करती। एक दिन कटारिया जी जब बस स्टॉप पहुंचे तो उन्होंने महसूस किया साँवली सी लड़की अभी तक नहीं आई थी ।
बस आते ही कटारिया जी उसमें बैठे और ऑफिस के लिए निकल पड़े ।
अगले दिन भी ऐसा ही था। कटारिया जी बस स्टॉप पर पहुंचे वह लड़की अगले दिन भी ना आई ।
ऐसा होते होते 2- 3 दिन हो गए कटारिया जी को लगा ,शायद यहां कहीं रहती होगी या पढ़ने आई होगी।
छोड़ो मुझे क्या सोचकर बस में बैठे और दफ्तर के लिए निकल गए।
जब दफ्तर पहुंचे उनकी मेज पर अखबार पढ़ा था जिसमें पहली खबर थी , दो दिन पहले शाम के 5:00 बजे कुछ लोगों ने रूट नंबर 10 से एक लड़की का अपहरण किया और उसके साथ बलात्कार किया।
कटारिया जी ने यह खबर पढ़ी और सोचा अरे यह तो रोज का धंधा है कभी किसी का बलात्कार तो कभी किसी का ।
उन्होंने दूसरी खबरें पढ़नी शुरू की, अखबार पढ़ कर ,अपने काम में लग गए।
शाम को जब घर पहुंचे तो उनकी श्रीमती जी ने खबरें सुनने के लिए टीवी चलाया हुआ था ।
कटारिया जी भी बैठ गए जैसे ही न्यूज़ आई की रूट नंबर 10 से एक लड़की का अपहरण करके उसके साथ बलात्कार किया गया तो उस लड़की का चेहरा दिखाया गया। कटारिया जी तुरंत चौक गए ,"अरे यह तो वही साँवली सी लड़की है जो रोज उन्हें बस स्टॉप पर मिलती थी "।
उन्होंने यह बात अपनी श्रीमती जी को बताई। उनकी श्रीमती जी ने कहा जरूरी नहीं कि हम अपनी लड़कियों को यह सिखाऐ कि उन्हें कैसे उठना बैठना रहना चाहिए ,जरूरी यह है कि हम अपने लड़कों को यह सिखाएँ कि उनहे कैसे मर्यादा में रहना है। क्या हम लड़कियों का पढ़ना लिखना छुड़वा दे सिर्फ इस डर से कि कल उसके साथ कुछ हो ना जाए।
इससे अच्छा होगा कि हम अपने लड़कों को यह सिखाएँ कि उन्हें लड़कियों की इज्जत कैसे करनी चाहिए ।
कटारिया जी अपना सिर दोनों हाथों में लिए बैठे थे और उनकी आंखों से आंसुओं की बूंदें टपक रही थी ।
उनको खुद पर गुस्सा आ रहा था कयोकि उस समय जब उन्होंने अखबार में यह खबर पढ़ी तो उनकी प्रतिक्रिया कितनी गलत थी परन्तु आज उन्हें अपने ऊपर शर्म आ रही थी।