टूटा तारा
टूटा तारा
''क्या हुआ तनिष्क?'' आँख बंद किये छत पर अकेले खड़े अपने पाँच साल के बेटे से ऋतु ने
आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।
''कुछ नहीं मम्मी, इंतजार कर रहा हूँ
''किसका ?''
''तारा टूटने का !''
''क्यों ?''
''दादी बीमार हैं न ! उनके लिये। दादी ने मुझे बताया कि अगर तारा टूटे तो जो भी विश माँगोगे पूरी हो जाती है। मासूम तनिष्क ने मासूमियत से कहा सुनकर ऋतु का ह्र्दय आत्मग्लानि से भर गया।
''एक यह है जो दादी की सलामती के लिये प्रार्थना कर रहा है और एक मैं हूँ जो भगवान से रोज उनके मरने की प्रार्थना करती हूँ ताकि उनकी सेवा नहीं करनी पड़े !''ऋतु हाथ जोड़कर तनिष्क के पास ही घुटनों के बल बैठ गयी सासू माँ के स्वास्थ्य की सलामती के लिये।