शायद ये प्यार है
शायद ये प्यार है
जब अमन और माही दोनो साथ मे पढते थे तो हमेसा लड़ते झगड़ते। जब इंटर पास कर आगे की पढाई की तैयारी के लिये अमन कोटा चला गया तब माही और अमन दोनो को एहसास होने लगा।
अमन एक दिन उदास बैठा था उसके दोस्त रवि ने पूछा क्या हुआ यार ? तुम इतने उदास क्यूं हो ?
कितना अच्छा लगता था उसके साथ बैठ कर बाते करना, उसका लंच छिन कर खा लेना, उसको बात बात पर चिढाना, कितने अच्छे दोस्त थे हम।
बस अच्छे दोस्त ?
हाँ यार बस अच्छा दोस्त
जरा अपने दिल से पूछो, जब भी तुम माही की बात करते हो तुम्हारे चेहरे पर एक नई चमक होती है, तुम हर दिन उसको याद करते हो।
क्या यही प्यार होता है।
कितना बुद्धु है मेरा दोस्त तू माही से प्यार करता है पर तुझे पता नहीं।
कभी अमन ने प्यार के बारे मे सोचा भी नही था। पर आज रवि की बाते सुनकर एहसास होता है प्यार का मन ही मन मुस्कुराता है शायद यही प्यार है।