सच का प्रमाण
सच का प्रमाण
"आप बुढा़पे में कैसे दिखेगें..."
फेसबुक पर इस ऐप को देखते ही " मैं कैसा लगूंगा " सोचकर रवि ने अपनी फोटो डालकर देखी । ..
पर ये क्या.. परिणाम उसकी अपेक्षा अनुरूप नहीं था । मन खिन्न हो गया । बिल्कुल अपने पिता जैसा सा लग रहा था वो । ढला सा मुर्झाया चेहरा ।
"नहीं नहीं मैं उस पिता की सूरत भी नहीं बनना पसन्द करूंगा जिसके कारण मुझ पर नाजायज का ठप्पा लगा ।"
गुस्से और निराशा में वो चिल्लाने लगा था
पीछे खडी़ माँ भी देख रही थी ये सब ।
" इसका एक प्रिन्ट निकाल कर मुझे दे । "
"तुम तुम क्या करोगी माँ ?"
" तेरे पिता को याद दिलाना है । नारी चरित्र पर दोष लगाने से पुरूष के जिन्स संतान के शरीर से खत्म नहीं हो जाते है।"
मां की आंखों में सन्तुष्ट भावों ने उसके जन्म को जायज बना दिया ।