मकड़जाल भाग 6
मकड़जाल भाग 6
मकड़ जाल भाग 6
मोर्ग में मिसेज शेट्टी ने शव को तुरंत पहचान लिया और फिर बेहोश हुई। उनके साथ उनकी नौकरानी थी जिसने फिर उन्हें सहारा दिया। मोर्ग में लोहे की बनी कई अलमारियाँ थीं जिसमें आदमकद दराजें थीं जिनमें तमाम शव लिटाये जाते थे। हर शव के अंगूठे पर एक पर्ची बाँधी जाती थी जिससे शव की शिनाख्त की जा सके। जब मिसेज शेट्टी अपने पति का शव देखकर बेहोश हुई तो अनायास ही नौकरानी उन्हें सहारा देने लपकी जो अभी तक दराज से दूर खड़ी थी झटके में उसका हाथ रत्नाकर शेट्टी के शव के पाँव पर पड़ गया। ठंडा और लिजलिजा स्पर्श पाकर वह बुरी तरह गनगना गई और जल्दी जल्दी किसी दक्षिण की भाषा में कुछ कहने लगी और जोर जोर से अपनी मालकिन को झकझोरने लगी। विशाल को वह भाषा नहीं आती थी। वह समझ नहीं पाया कि ये क्या कह रही है। तब तक मिसेज शेट्टी को होश आ गया और वह दहाड़ें मारकर विलाप करने लगी। नौकरानी अभी भी कुछ कहे जा रही थी। विशाल मोर्ग के अटेंडेंट के पास गया और उससे उसका नाम पूछा।
श्रीनिवास सर। उसने बताया
क्या तुम्हे इस औरत की भाषा समझ में आती है?
हाँ! तमिल है।
ये क्या कह रही है? विशाल ने धीमे से पूछा
ये कह रही है कि साहब मरे नहीं हैं! साहब मरे नहीं हैं!
ओह! हे प्रभु! विशाल ने माथे पर हाथ मारा, ये औरतें भी कमाल होती हैं!
किसी तरह शेट्टी मैडम को संभाला गया। लाश उनके सुपुर्द करने की तैयारी की जाने लगी। अभी मिसेज शेट्टी से पूछताछ संभव नहीं थी तो इन्तजार के अलावा विशाल के पास कोई चारा नहीं था।
अगले दिन विशाल शेट्टी के घर पहुंचा। सफ़ेद साड़ी पहने मिसेज शेट्टी सोफे पर बैठी थीं। भले ही उनकी मांग उजड़ चुकी थी पर इस अवस्था में भी वह काफी प्रभावशाली लग रही थीं। एक ताजा विधवा के बारे में ऐसा सोचते विशाल को शर्म आई और वह खुद को कोसने लगा। शोक का महासागर मिसेज शेट्टी के चेहरे से नुमायां हो रहा था। विशाल ने उनके प्रति संवेदना प्रकट की जिसे उन्होंने सिर हिलाकर स्वीकार किया और उसे सामने बैठने का संकेत किया।
मैडम! आप चाहती हैं न कि आपके पति के हत्यारे को सजा मिले?
हाँ! चाहती हूँ
तो मेरे कुछ सवालों का जवाब दे दीजिए।
पूछो
आप लोगों का बिजनेस क्या है? आपके पति क्या काम करते थे ?
वे शेयर बाजार का काम करते थे। फाइनेंस का भी काम था।
क्या उनकी किसी से कोई दुश्मनी थी?
अब बिजनेस में बहुत कुछ होता है, लेकिन वे बाहर की कोई बात मुझसे शेयर नहीं करते थे। लेकिन मेरे ख़याल से उनकी किसी से ऐसी दुश्मनी नहीं थी जो जान के लेन देन तक पहुंच जाती।
एक कम उम्र की लड़की पानी लेकर आई तो विशाल ने पूछा, आपकी रेगुलर नौकरानी कहाँ है?
उसकी तबियत खराब हो गई है, वह आज नहीं आई, उसने अपने बदले इस लड़की को भेज दिया है।
तब तक कॉलबेल बजी और फॉर्मल ड्रेस पहने एक ब्रीफकेस धारी इंसान ने भीतर कदम रखा।
पांचाल नाम का वह अधिकारी बीमा कंपनी से आया था। विशाल उठ खड़ा हुआ। वह पुलिस स्टेशन पहुंचा और वहां से नौकरानी का पता लेकर उसके घर की ओर रवाना हो गया। उसका पता रूटीन तौर पर वहां लिखा हुआ था। नौकरानी उसकी आशा से अधिक अच्छे घर की निवासी निकली। साफसुथरी चॉल के आखिरी कमरे में वह अकेली रहती थी। पुलिस को आया देख कुछ पड़ोसी भी विशाल के साथ नौकरानी के घर तक चले आये। दरवाजा ठोकने पर जब कोई जवाब नहीं मिला तो विशाल ने जोर से कड़ी खटखटाई, इस उपक्रम में दरवाजा खुल गया जो शायद केवल भिड़ा हुआ था। भीतर का दृश्य देखते ही उसे भारी झटका लगा। भीतर नौकरानी पीठ के बल ज़मीन पर पड़ी हुई थी। जिसका गला अभी-अभी काटा गया था और उससे अभी भी ताजा रक्त भलभला कर बह रहा था। विशाल ने झपट कर उसकी नब्ज थामी। उसे उसमें जीवन के कोई निशान नहीं मिले। लाश अभी एकदम गर्म थी। विशाल झपटकर बाहर भागा पर उसे आसपास कोई संदिग्ध नहीं मिला।