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Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

कपूर की गोली

कपूर की गोली

2 mins
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पूजा का जन्म सी स्कीम जयपुर स्थित विद्यावती नर्सिंग होम में मंगलवार ७ फरवरी १९८४ को हुआ | हिन्दू कलेंडर के हिसाब से उस दिन बसंत पंचमी का दिन था | ये कहानी उसी के बचपन की है | उन दिनों पूजा करीब डेढ़ साल की रही होगी | बचपन से ही वो बहुत शांत स्वभाव की थी | आज जब सोचता हूँ तो थोडा आश्चर्य भी होता है कि कोई बच्चा इतने शांत स्वभाव का कैसे हो सकता है ? हमारी श्रीमतीजी ने इस बात का उल्लेख कई बार किया है | खाना बनाते वक़्त, बचपन में पूजा को रसोई की स्लैब पर बिठा लेती थी और सारा खाना आराम से बना लेती थी | पूजा पूरे वक़्त चुपचाप स्लैब पर बैठी रहती थी |


लेकिन साथ ही बहुत जिज्ञासु थी | हर चीज के बारे में जानना चाहती थी | घर में पांच युवाओं के बीच पलने वाली वो अकेली बच्चा थी | घर में सबकी लाडली थी | सच तो ये है कि उसको खिलाने या फिर उसके साथ खेलने के लिये सब लोग अपना अपना नंबर लगाया करते थे | कभी किसी की गोद में, कभी किसी के साथ, हर वक़्त सभी उसको कुछ ना कुछ सिखाने पढ़ाने में लगे रहते थे | डेढ़ साल की बच्ची के लिहाज से पूजा अपने हमउम्र बच्चों से बहुत आगे थी | ईश्वर की कृपा से आर्थिक रूप से कोई कमी नहीं थी, इसीलिए उसकी हर फरमाइश पूरी होती थी | उसके खाने पीने पहनने आदि की हर चीज, अच्छी से अच्छी लायी जाती थी | उसके अपने शौक भी कुछ अलग ही थे | बचपन में उसको हर चीज सूंघने का शौक था | सूंघने के चक्कर में कई बार समझ नहीं पाती थी कि वो चीज सूंघने की है भी या नहीं | और हाँ किस चीज को कितने पास या दूर रखकर सूंघना चाहिये ?


हम लोग कभी कभी कपूर की कुछ गोलियां डाइनिंग टेबल के पास वाले वाश बेसिन में डाल देते थे | एक दिन शायद किसी ने वाश बेसिन की सफाई की और कपूर की गोलियां ड्रेन से निकालकर बाहर रख दी | पूजा की नज़र उन गोलियों पर पड गयी | जब डाइनिंग एरिया में कोई बड़ा आदमी नहीं था, उसने पास पड़ी प्लास्टिक की छोटी स्टूल धीरे धीरे वाश बेसिन के पास खिसका ली | और स्टूल पर चढ़कर, ऊपर रखी कपूर की कुछ गोलीयां उठा ली | फिर अपनी आदत के अनुसार, उनके साथ खेलने और सूंघने में व्यस्त हो गयी |


सूंघने के चक्कर में उसने ध्यान नहीं रखा और कपूर की गोली नथुने के बहुत करीब रख ली | और फिर कुछ ऐसा घट गया जो नहीं होना चाहिये था | शायद उसने कुछ ज्यादा ही जोर से सूंघा | कपूर की एक गोली उसकी नाक के नथुने में घुसकर अटक गई | जब वो अपने आप नहीं निकाल पाई, तब उसने अपनी माँ को सारा किस्सा बताया | सभी ने अपने अपने तरीके से कोशिश की लेकिन कोई भी सफल नहीं हुआ | मंजू बहुत घबरा गई थी |


हमारे बगल वाले घर में जोशी परिवार रहता था | उनसे हमारे बहुत अच्छे सम्बंध थे | मंजू दौड़कर गई और श्रीमती जोशी को आवाज़ लगाईं | आपात स्थिति समझ जोशीजी भी श्रीमतीजी के पीछे पीछे बाहर आ गये | मंजू ने दोनों को पूरा किस्सा सुनाया और मदद मांगी | जोशीजी ने पूजा को दोनों टांगों से पकड़ कर उल्टा लटका दिया और उसकी पीठ को जोर जोर से थपथपाने लगे | शुरू में तो लगा जैसे कुछ नहीं हो रहा था, लेकिन २ मिनिट बाद गोली बाहर आ गयी | गोली बाहर देख, सबकी जान में जान आयी।


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