वो आयेगा
वो आयेगा
"बहुत देर से तुम ऐसे कैसे बैठी हो..लहरों का वेग देखा..बहुत तेज है , पूरी भीग गई हो..कभी कभी तो तुम्हें सर से ही भिगो ले जा रही हैं ये लहरें" ,
इस आवाज को सुन कर उसने चौंक के मुझे देखा...उदास आँखों से हल्की मुस्कान मेरी और फेंक कर अपने हाथों में गीली रेत भरने लगी,
"वो जो बार बार आ के तुम्हें उठाना चाह रहे हैं वो कौन..."
प्रश्न पूरा होने से पहले ही तल्ख लहजे में बोल उठी "वो मेरे पति हैं..उन्हें अच्छा नही लग रहा कि मैं यहां ऐसे बैठूं...",
"ऐसे लगातार पानी में बैठे रहने से बेहतर है आप रेत में घूम लें.."
"हां..पर वो आया तो...वो बुदबुदाई,
"कौन तुम्हारे हस्बैंड... वो आ तो रहे हैं.. तुम्हारे लिये नारियल पानी लेकर",
"अच्छा अच्छा..कुछ खीजे स्वर में बोली",
तभी पास पहुंच चुके उस आदमी ने नारियल पकड़ाते हुये कहा "नीरु उठो...बहुत देर से बैठी हो,पानी पी लो,और फिर कपड़े बदल लो.. आज लौटना भी है ना..,फेरी का समय भी होने वाला है।"
उस औरत का चेहरा इन बातों को सुन कर और उदास हो आया..,
"नहीं..नहीं इतनी जल्दी नहीं जाना..अनुभ तो आयेगा ना..."
"अब नहिं आयेगा..कभी नहीं.."पुरुष के शब्द कठोरता से निकले पर अन्त आते आते भीग चुके थे,अजीब सी करुणा दोनों के चेहरे को भिगो गई।
मैंने प्रश्न से भरी आँखों से पुरुष की और देखा,
"हम तीन दिन से इस आईलैंड में रह रहे हैं,रोज इस बीच में आते हैं,आज पोर्ट ब्लेयर लौटना है,कल की फ्लाइट है चैन्नई की...पर ये जाना ही नहैं चाहती"।
"ये बहुत सुंदर बीच है,मन नहीं भरता यहां।"
"हां.. है तो ..पर बात ये नहीं है..तीन साल पहले हमारा बेटा कॉलेज ट्रिप में यहां आया था..पर आज तक नहीं लौटा..तब से हर साल नीरु को यहां लेकर आता हूं , कुछ दिनों शान्त रहती है", ये कहते पुरुष की आवाज भीग चुकी थी...समय के बीच एक कारुणिक चुप्पी पसर आई...सिर्फ लहरों का आलाप तेज तेज सुनाई दे रहा था..तभी स्त्री लहरों को देख तेजी से हाथ हिला मुस्कुराने लगी , भरे मन से मैं चुपचाप आगे निकल आई।